लोकसभा चुनाव में हार के बाद जानें क्या है बिहार में कांग्रेस की रणनीति
पटना
बिहार प्रदेश कांग्रेस के नेता महागठबंधन के किसी भी बैठक में शामिल होने के पक्ष में नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस इसका संकेत राजद द्वारा लोकसभा चुनाव में हार पर मंथन के लिए बुलाई गई महागठबंधन की बैठक में न जाकर दे चुकी है।
पार्टी के आधा दर्जन से अधिक नेताओं ने कांग्रेस के अकेले चुनाव में उतरने या नए राजनीतिक परिदृश्य के अनुसार गठबंधन की आवश्यकता जतायी है। इनमें प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कौकब कादरी व श्याम सुंदर सिंह धीरज, राष्ट्रीय कांग्रेस के सचिव डॉ. शकील अहमद खान, पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अनिल कुमार शर्मा, पूर्व विधायक डॉ. हरखू झा सहित अन्य प्रमुख नेता शामिल हैं।
कौकब कादरी ने कहा कि हमारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा देने की पेशकश की है, हम सभी की पहली जिम्मेवारी है कि उन्हें मनाया जाए। पार्टी के नेता पहले अपने स्तर से चुनाव परिणाम की समीक्षा करें और नये उत्साह के साथ पार्टी को आगे ले जाने की रणनीति तय करें। मेरा मानना है कि जब अपने घर में ही द्वंद्व की स्थिति है तो किसी कांग्रेसजन को अन्य के साथ समीक्षा बैठक में नहीं जाना चाहिए। .
वहीं, डॉ. शकील अहमद खान ने कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव महागठबंधन में समन्वय बनाने, नेतृत्व करने में पूरी तरह विफल रहे हैं। ऐसे में आवश्यक यह है कि कांग्रेस वास्तविक धरातल पर अपने स्तर से निर्णय ले, न कि किसी अन्य दल के साथ बैठक करें। अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि 1998 से ही पार्टी के अंदर मैं बिहार में अकेले चुनाव मैदान में उतरने की मांग करता रहा हूं। अब यह समय आ गया है।
गोहिल का बिहार कांग्रेस प्रभारी पद से इस्तीफा
कांग्रेस के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को भेजा है। श्री गोहिल ने अपने इस्तीफे में बिहार में लोस चुनाव को लेकर अपेक्षित परिणाम नहीं मिलने और वर्तमान परिस्थिति की जिम्मेवारी लेते हुए पद से इस्तीफा देने का जिक्र किया है। गौरतलब है कि श्री गोहिल को जनवरी 2018 में बिहार कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था। उस वक्त उनके समक्ष पार्टी को बिहार में नये सिरे से खड़ा करने की चुनौती थी। तब पार्टी में प्रदेश से जिला स्तर तक पार्टी पदाधिकारियों की तैनाती, समान विचारधारा वाले दलों से समन्वय बनाने, पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट रखने की जिम्मेवारी आलाकमान ने सौंपी थी, लेकिन लोकसभा चुनाव में पार्टी बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी।