लॉकडाउन पर मोदी को घेर रहे सोनिया-गहलोत

नई दिल्‍ली
देश कोरोना वायरस जैसी महामारी की चपेट में है। फिलहाल सारा ध्‍यान केवल COVID-19 के संक्रमण को रोकने पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्षी दलों के नेताओं से दो-तीन दिन पहले फोन पर कोरोना वायरस को लेकर बात की थी। विपक्ष का लगातार यह आरोप रहा है कि सरकार ने महामारी से निपटने के इंतजाम समय रहते नहीं किए। अभी कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के सुझाव प्रधानमंत्री कार्यालय पहुंचे ही थे कि पार्टी की अंतरिम अध्‍यक्ष सोनिया गांधी ने भी अपने सुझाव लिखकर पीएम को भिजवा दिए। इसमें सुझावों के बहाने सरकार पर निशाने साधे गए हैं। सरकार को कटघरे में खड़ा करने की कोशिश हुई है। राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत कहते हैं कि लॉकडाउन हटाने का फैसला राज्‍यों पर छोड़ देना चाहिए। जबकि केंद्र समेत अधिकतर राज्‍य लॉकडाउन बढ़ाने के फेवर में दिखते हैं। अपने-अपने तरीके से कांग्रेस के दोनों नेता केंद्र सरकार को घेरने की कोशिश में हैं।

सोनिया के सुझाव या सवाल?
सोनिया अपनी चिट्ठी में पीएम को सलाह देती हैं कि COVID-19 को छोड़कर सभी तरह के सरकारी मीडिया विज्ञापनों पर रोक लगे। वह भी कम से कम दो साल तक। उन्‍होंने गिनाया है कि केंद्र सरकार हर साल 1250 करोड़ विज्ञापनों पर खर्च करती है, इससे 2500 करोड़ बचेंगे। 20 हजार करोड़ रुपये खर्च कर संसद की नई इमारत बनाने को उन्‍होंने इस वक्‍त 'फिजूलखर्ची' कहा है। सोनिया ने व्‍यय बजट में 30 प्रतिशत की कटौती को तीसरे सुझाव के रूप में रखा है। चौथा ये कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्रियों, मुख्यमंत्रियों और ब्‍यूरोक्रेट्स की विदेश यात्राओं पर तत्‍काल रोक लगे। विपक्ष प्रधानमंत्री मोदी को उनकी विदेश यात्राओं के लिए लगातार निशाने पर लेता रहा है।

PM CARES फंड क्‍यों बनाया?
सोनिया अपनी चिट्ठी में इस बात से बेहद नाराज दिखीं कि प्रधानमंत्री राष्‍ट्रीय आपदा कोष (PMNRF) होते हुए PM CARES फंड बनाया गया। उन्‍होंने मांग उठाई कि PM CARES में आए सभी रुपयों को PMNRF में ट्रांसफर किया जाएगा। इससे ऑडिट भी संभव हो सकेगा कि पैसा कहां गया। उन्‍होंने कहा कि फंड्स के लिए दो अलग-अलग इकाइयां बनाने का कोई तुक समझ नहीं आता। उन्‍होंने PMNRF में पड़े 3,800 करोड़ रुपयों की भी याद पीएम मोदी को दिलाई है। इस बहाने सोनिया ने कोरोना वायरस को लेकर मोदी सरकार को घेरने में कसर नहीं छोड़ी है।

अलग सुर में क्‍यों बोल रहे गहलोत?
देश के अधिकतर राज्यों के मुख्‍यमंत्री लॉकडाउन जारी रखने के पक्षधर हैं। राजस्‍थान सीएम अशोक गहलोत ने राज्‍यों को लॉकडाउन पर फैसला लेने का अधिकार मांगा है। गहलोत ने कहा कि राज्यों को 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला लेने का अधिकार मिलना चाहिए। अन्‍य राज्‍यों के मुख्‍यमंत्रियों ने प्रधानमंत्री मोदी से इस बारे में फैसला लेने की अपील की है। गहलोत ने कहा है कि देश से 21 दिन का लॉकडाउन अचानक नहीं हटाया जा सकता। उन्‍होंने कहा कि चरणबद्ध तरीके से ही लॉकडाउन हटाया जा सकता है। गहलोत ने कहा, "अगर लॉकडाउन हटता भी है तो एक बार में नहीं हटेगा। हमने कम से कम 40 जगह कर्फ्यू लगाया है… वहां खुलेगा नहीं एक साथ में।" गहलोत ने केंद्र सरकार से राज्‍यों के लिए 1 लाख रुपये की अर्जेंट मदद भी मांगी है।

पहले लॉकडाउन की आलोचना कर चुकी हैं सोनिया
कांग्रेस अध्‍यक्ष ने इस महीने की शुरुआत में लॉकडाउन को जरूरी मगर बगैर तैयारी के उठाया गया कदम करार दिया था। उन्‍होंने कहा था कि टेस्ट करने से ही इस बीमारी से पार पाया जा सकता है, जिसका देश में अभाव है। सोनिया गांधी ने कहा था कि "21 दिन का देशव्यापी लॉकडाउन हो सकता है जरूरी हो, लेकिन इसे बगैर तैयारी के साथ लागू किया गया, जिससे अफरातफरी का माहौल उत्पन्न हुआ और पूरे भारत में लाखों प्रवासी मजदूरों को परेशानी का सामना करना पड़ा।"

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *