कोरोना को हराकर घर पहुंची पिंकी से पड़ोसियों ने बनाई दूरी, दुकानों पर नहीं मिल रहा सामान

पटना 
कोरोना से मुक्त होकर घर पहुंची पिंकी के घरवालों से पड़ोसी और मोहल्ले वालों ने दूरी बना ली है। यही नहीं, दुकानों पर सामान नहीं मिलता है। दुकानदारों ने दुकान पर आने से मना कर दिया है। एक रिश्तेदार फोन पर बोलने से सामान लाता है, लेकिन वह भी थैला दरवाजा पर रखकर बाहर चला जाता है। कोरोना पॉजिटिव होने का दर्द कोरोना ठीक होने के बाद भी शरणम अस्पताल के कर्मियों और उनके परिजनों को भुगतना पड़ रहा है। 

अस्पताल की कर्मी पिंकी मानपुर बैरिया के जिस मोहल्ले में रहती है, लोगों ने उसके घर के बाहर से गुजारना भी बंद कर दिया है। यहां तक कि उसके दो भाई अगर दुकान पर सामान लाने जाते हैं तो दुकानदार दूर से ही खदेड़ देता है। मोहल्ले के लोग, दुकानदार, यहां तक कि दूध वाले ने भी उनसे संपर्क तोड़ लिया है। इसर्से पिंकी के परिजनों का रहना मुश्किल हो गया है। हिन्दुस्तान संवाददाता ने फोन पर पिंकी से बात की तो वह अपना दर्द बयां करते-करते रोने लगी। कहा कि घर में वही काम करने वाली सदस्य है। पापा के नहीं रहने से घर की जिम्मेदारी उसी पर है। ऐसे में घर चलाना भी मुश्किल हो गया है। 

परिवार भी हैं भयभीत
ऐसा ही हाल शरणम अस्पताल के वार्ड बॉय सूरज और गौतम के मोहल्ले में हो गया है। खेमनीचक के जिस मोहल्ले में यह दोनों रहते थे, अब वहां से पुलिस का बैरियर लगभग हट गया है। बैरियर का कुछ हिस्सा बचा है, जिससे लोग धड़ल्ले से उस मोहल्ले में आ जा रहे हैं, लेकिन उनके परिजन जहां रहते थे वहां पर स्थिति पिंकी के घर के जैसा ही है। 

घर में कुछ कर्मी हैं कोरेंटाइन
शरणम अस्पताल के संचालकों में से एक संजीत राय के घर में कुछ कर्मी अलग-अलग कोरेंटाइन में रह रहे हैं। डॉक्टर की सलाह पर वे लोग एक दूसरे से दूर ही रहते हैं। संजीत राय ने बताया कि 9 अप्रैल तक आइसोलेशन में रहने के लिए कहा गया है। इसके बाद ही बाहर निकलने का निर्देश मिला है। कहा कि वे डॉक्टरों के निर्देश का पालन कर रहे हैं। 

नहीं होती परेशानी 
कोरोना के इलाज में और आइसोलेशन सेंटर में किसी तरह की परेशानी नहीं होती है। आइसोलेशन में भी जिला प्रशासन और सिविल सर्जन की टीम द्वारा संदिग्धों का बहुत ख्याल रखा जा रहा है। 

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