लॉकडाउन: नहीं मिली एंबुलेंस, 10 किमी. चलने के बाद पिता की गोद में मासूम ने तोड़ा दम
आगरा
कोरोना लॉकडाउन का खामियाजा सबसे ज्यादा गरीब और मजदूरों को उठाना पड़ रहा है. कहीं खाने-पीने के लाले हैं, तो कहीं वाहन न मिलने के कारण जान जा रही है. ये वो सच्चाई है, जो देश के अलग-अलग राज्यों से रोज हम सबके सामने आ रही है. देश के सबसे बड़े टूरिस्ट स्पॉट आगरा से एक ऐसी ही दर्दनाक खबर सामने आई हैं. जहां पर इलाज न मिलने की वजह से एक छह महीने के मासूम ने अपने बाप की गोद में ही दम तोड़ दिया.
आगरा में थाना मलपुरा के गांव नगला आनंदी में इलाज नहीं मिलने से 6 महीने के एक बच्चे ने दम तोड़ दिया. मृतक का पिता सुरेंद्र सिंह बच्चे के इलाज के लिए आगरा के सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज पहुंचने के लिए 10 किलोमीटर पैदल चला. लेकिन पंचकुइयां चौराहे पर बच्चे ने बाप के हाथों में ही दम तोड़ दिया. सुरेंद्र सिंह को रास्ते में पुलिस मिली उन्होंने एंबुलेंस मंगवाने के लिए पुलिस से गुहार भी लगाई. लेकिन उन्हें पैदल चलने के लिए ही कहा दिया गया.
जूते की फैक्टरी में काम करता है पिता
सुरेंद्र सिंह जूता कारीगर है और नगला टपरा की आनंदी गली में किराये के मकान पर रहता है. घर में लॉकडाउन के चलते खाने-पीने की कमी है. चावल खाकर परिवार किसी तरीके से पेट भर रहा है. सुरेंद्र सिंह का कहना है कि मंगलवार शाम को बेटे के पेट में दर्द हुआ. उसे पेशाब भी नहीं आ रहा था हालत गंभीर थी और आसपास कोई डॉक्टर भी नहीं मिला. इसलिए इलाज के लिए बच्चे को सरोजिनी नायडू मेडिकल कॉलेज पैदल ले जा रहा था और तभी आंखों के सामने हाथों में बेटे के प्राण निकल गए.
परिवार के पास खाने-पीने का राशन नहीं
इस मामले में ग्राम प्रधान राजेंद्र सिंह का कहना है कि राशन के लिए सुरेंद्र के परिवार के सभी जरूरी कागजात तहसील के लेखपाल को भेज दिए हैं. लेकिन राशन अभी तक नहीं मिला है. सुरेंद्र के बेटे की मौत पर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण ने मोबाइल फोन पर हुई बातचीत में कहा कि एंबुलेंस का कहीं पर भी जाना प्रतिबंध नहीं है. एंबुलेंस को पास की भी जरूरत नहीं है. सरकार की तरफ से दावे कितने किये जा रहे हों, लेकिन ऐसी व्यवस्था ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं.