राहुल गांधी पुराने वरिष्ठों को किनारे कर बनाएं अपनी युवा टीम, कांग्रेस के युवा नेताओं की मांग

 नई दिल्ली 
लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद राहुल गांधी अपने इस्तीफे के फैसले पर अड़े हुए हैं। राहुल के इस फैसले के बाद से पार्टी में इस वक्त असमंजस की स्थिति बरकरार है। कांग्रेस अध्यक्ष बहुत से सीनियर नेताओं से भी संपर्क में नहीं हैं। कांग्रेस के कुछ नेता राहुल के फैसले का समर्थन भी कर रहे हैं। इन नेताओं का कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने के बाद राहुल गांधी को लोकसभा में कांग्रेस पार्टी के नेता के तौर पर लीड करना चाहिए। कांग्रेस में एक धड़ा ऐसा भी है जो राहुल को अभी भी पद पर बने रहने के लिए मना रहा है।  
 
पार्टी में कई नेताओं की सिफारिश, नए चेहरों को मिले मौका 
एक वरिष्ठ पार्टी नेता ने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए किसी युवा चेहरे को ही तरजीह मिलनी चाहिए। इकनॉमिक टाइम्स के साथ बातचीत में कांग्रेस नेता ने कहा, 'राहुल जी अगर पार्टी अध्यक्ष बने रहना चाहते हैं तो वह बने रह सकते हैं। अगर वह लोकसभा में कांग्रेस संसदीय दल के नेता के पद पर रहना चाहते हैं तो वह यह भी कर सकते हैं। अगर यही राहुल जी की इच्छा है तो कांग्रेस में कई ऐसे युवा चेहरे हैं जो उनके स्थान पर अध्यक्ष का पद संभाल सकते हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया, सचिन पायलट, सुष्मिता देव, रणदीप सुरजेवाला में से कोई एक अध्यक्ष पद संभाल सकता है। पार्टी के नेतृत्व में बड़े बदलाव के लिहाज से यह महत्वपूर्ण कदम होगा।' 
 
वरिष्ठ बनाम युवा नेतृत्व की जंग शुरू 
कांग्रेस के सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में राहुल गांधी के नेतृत्व की असफलता से ध्यान हटाने के लिए सारी कवायद थी। हालांकि, अब खुले तौर पर वरिष्ठ बनाम नए नेतृत्व को लेकर सवाल उठने लगे हैं। ऐसी खबरें भी हैं कि कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी के सीनियर नेताओं के अपने बेटे को टिकट दिलाने के लिए दबाव बनाने पर भी निशाना साधा था। चर्चा है कि कांग्रेस में एक धड़ा ऐसा है जो खुले तौर पर युवा नेतृत्व की वकालत कर रहा है। 
 
कांग्रेस के एक गुट की मांग, राहुल को नई टीम के लिए खुली छूट मिले 
करारी हार के बाद कांग्रेस नेतृत्व और संगठन में बदलाव की मांग खुलकर उठने लगी है। एक धड़ा ऐसा है जो अब कह रहा है कि राहुल गांधी को अपनी नई टीम बनानी चाहिए। पुराने वरिष्ठ नेताओं के स्थान पर राहुल को खुली छूट मिलनी चाहिए कि वह नए युवा नेताओं से लैस अपनी टीम बना सकें। हालांकि, पार्टी गतिविधियों पर करीब से नजर रखनेवाले कुछ लोग इस खुली छूट और टीम गठित करने संबंधी मांग से अचरज में हैं। जानकारों का कहना है कि पिछले कई वर्षों से राहुल को अपनी मर्जी के अनुसार टीम बनाने और नियुक्तियों की पूरी छूट हमेशा ही रही है। 

पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता इस पूरे प्रकरण से खुद को अलग ही रख रहे हैं और उनका कहना है कि कांग्रेस अध्यक्ष के फैसले के साथ रहेंगे। इस बीच कई प्रदेश अध्यक्षों ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेने की बात करते हुए कहा कि वह अपना इस्तीफा पार्टी को सौंप चुके हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि राहुल गांधी अध्यक्ष हैं और उन्हें किसी से भी इस्तीफा मांगने, स्वीकार करने, पद से हटाने या फिर नियुक्त करने का अधिकार है। वह एआईसीसी और पीसीसी में अपनी सोच के अनुसार बदलाव कर सकते हैं। 

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