प्रदेश को पूर्ण साक्षर बनाने मुख्यमंत्री ने लोकवाणी के माध्यम से सभी से की योगदान की अपील

रायपुर
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज मासिक रेडियो कार्यक्रम लोकवाणी की दूसरी कड़ी में प्रदेशवासियों को सम्बोधित किया। मुख्यमंत्री ने अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस पर प्रसारित इस वार्ता में छत्तीसगढ़ को पूर्ण साक्षर बनाने के लिए सभी के सहयोग का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि प्रदेश में प्रारंभ किए गए मुख्यमंत्री शहरी कार्यात्मक साक्षरता कार्यक्रम के माध्यम से प्रदेश के 14 वर्ष से 60 वर्ष तक आयु के लोगों को डिजिटल साक्षर बनाया जाएगा। यह नागरिकों के सशक्तिकरण की दिशा में एक बड़ा कदम होगा। मुख्यमंत्री ने गुरूजनों को नमन करते हुए कहा कि नई पीढ़ी का भविष्य गढ?े में शिक्षकों की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून को विस्तारित किया गया है। इस कानून के तहत 12वीं कक्षा तक नि:शुल्क शिक्षा के अधिकार का विस्तार किया गया है। श्री बघेल ने प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों को 32 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ में 82 प्रतिशत का आरक्षण सामाजिक न्याय की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

रेडियो कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में शिक्षकों की नियमित भर्ती की प्रक्रिया शुरू की गई है। कॉलेजों में भी डेढ़ हजार प्राध्यापकों की भर्ती होगी। युवाओं को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं में उद्यमिता का विकास और प्रोत्साहन हमारी सबसे बड़ी प्राथमिकता है। युवाओं के साथ प्रदेश के सामाजिक, आर्थिक विकास के मोर्चे पर बड़े अभियान प्रारंभ किए जाएंगे। युवाओं की प्रतिभा लगन, मेहनत और जुनून से इसमें हमें अवश्य सफलता मिलेगी। प्रदेश में एक ऐसा सपोर्ट सिस्टम विकसित किया जाएगा। जिसकी सहायता से युवा अपना कौशल विकसित कर सकें।

प्रदेशवासियों से छत्तीसगढ़ी बोली में जय जोहार बोल कर सभी रेडियो श्रोताओं का आत्मीयता से स्वागत किया। उन्होंने अपने सम्बोधन में आम जनता, खेती-किसानी में जुटे सभी किसान, भाई-बहनों और घर में अपने-अपने काम में लगकर रेडियो सुन रहे माता-बहनों, बजुर्गों और बच्चों सहित सभी संगवारी लोगों का पुन: जय जोहार और नमस्कार कर श्रोताओं को सहजता से जोड़ते हुए लोकवाणी कार्यक्रम के माध्यम से अपनी बातों को साझा किया।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने लोकवाणी की शुरूआत में बताया कि आज 8 सितम्बर को विश्व साक्षरता दिवस है। साक्षरता का अर्थ अक्षर-ज्ञान से है। जो लोग लिख-पढ़ लेते हैं वे साक्षर और जो नहीं पढ़-लिख पाते हैं वे निरक्षर कहलाते हैं। साक्षर लोग निरंतर पढ़ाई-लिखाई कर और निखार लाने में लगते रहते हैं, ताकि वे अपने जीवन में उजियारा ला सकें। आज के दिन सभी लोग यह संकल्प लेते हैं कि हमारे प्रदेश के सभी लोग साक्षर हो सके। उन्होंने लोकवाणी के माध्यम से कड़वी पर सच्ची बात बताया कि छत्तीसगढ़ में 2011 के जनगणना के अनुसार 70.28 प्रतिशत लोग साक्षर थे। जिसमें 80.27 प्रतिशत पुरूष और 60.27 प्रतिशत महिला वर्ग से थे। साक्षरता का आंकलन प्रत्येक 10 साल में होता है अर्थात साक्षरता का नया आकड़ा 2021 की जनगणना के बाद आएगा, लेकिन एक अनुमान है कि 2011 से 2018 के बीच हुए प्रयासों के बावजूद आज भी राज्य में लगभग एक चौथाई आबादी साक्षर नहीं है। मेरा मानना है कि साक्षरता तो शिक्षा का द्वार है। यदि प्रदेश की एक चौथाई जनता साक्षरता की चौखट तक भी नहीं पहुंची है तो मानव विकास के तमाम आंकड़े बेमानी हैं। कुपोषण, शिशु मृत्यु दर, मातृ मृत्यु दर, बीमारियों आदि को लेकर यदि जागरूकता में कहीं कोई कमी है तो इसका सीधा रिश्ता साक्षरता से जुड़ता है।

मुख्यमंत्री श्री बघेल ने कहा कि ऐसी स्थिति में कोई कहे कि हमने राज्य को विकास के शिखर पर पहुंचा दिया है, तो उसे सफेद झूठ ही माना जायेगा। आज विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर यह कहना शायद अनुचित लगे लेकिन यह बेहद दु:ख और चिंता का विषय है कि 31 मार्च 2018 से राष्ट्रीय स्तर पर 'साक्षरताझ् का कार्यक्रम ही बंद कर दिया गया है। इस कारण न केवल निरक्षरों को साक्षर बनाने की गति धीमी हुई है, बल्कि इस काम में लगे हजारों कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट आ गया है। आज इस वातावरण में जब विश्व साक्षरता दिवस मनाया जायेगा तो हमारे पास साक्षरता के थमे हुए प्रयास और रूके हुए आंकड़े होंगे, लेकिन हमें हताश नहीं होना है।

प्रदेश को पूर्ण साक्षर बनाने में सभी का योगदान हो
मुख्यमंत्री ने लोकवाणी में कहा कि आज विश्व साक्षरता दिवस के अवसर पर मैं आप सबको बधाई और शुभकामनाएं देते हुए यह कहना चाहता हूं कि प्रदेश की एक चौथाई आबादी को साक्षर बनाना हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। 'साक्षर भारतझ् का राष्ट्रीय अभियान विगत डेढ़ साल से बंद होने का असर हमारे छत्तीसगढ़ में भी पड़ेगा। हम सबको मिलकर यह तय करना है कि अपने प्रदेश की शेष आबादी को कैसे साक्षर बनायेंगे। मेरा यह भी मानना है कि जनभागीदारी से हम और आप मिलकर साक्षर करने की दिशा में बेहतर फैसला लेंगे। इसके लिए मैं प्रदेश की साक्षर और सक्षम जनता से सहभागिता के लिए अपील करता हूं।

छत्तीसगढ़ में 82 प्रतिशत का आरक्षण सामाजिक न्याय की दिशा में महत्वपूर्ण कदम
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी के माध्यम से प्रदेश की जनता से रू-ब-रू होकर सूरजपुर जिले के मधुसूदन प्रजापति और रायगढ़ निवासी कुलमाड़ी महानंदिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा कि लोकवाणी को आप लोगों का प्यार मिल रहा है यह बड़ी खुशी की बात है। हम चाहते हैं कि हमारे महान नेताओं की बदौलत जो आजादी मिली है, जो संविधान मिला है, जो लोकतंत्र का वरदान मिला है, लगातार मजबूत हो। इसके लिए अभिव्यक्ति की आजादी के हर माध्यम का उपयोग हम करेंगे। 'लोकवाणीझ् इसी दिशा में एक विनम्र प्रयास है। जो लोग बरसों से अन्याय सह रहे हैं, बरसों से न्याय के लिए लड़ रहे हैं, जो बरसों से उन सामान्य सुविधाओं और अधिकारों से वंचित हैं, जो उन्हें संविधान के तहत मिलने चाहिए, इनके लिए हमारी सरकार ने सबसे पहले काम किए हैं। हमारा हर कदम सामाजिक न्याय की दिशा में बढ़ा है। इसी क्रम में हमने पहले किसानों, आदिवासियों, गरीब व मध्यम वर्गीय परिवारों की लंबे समय से उपेक्षित मांगों को पूरा किया। जनसंख्या के अनुपात में अनुसूचित जनजाति को 32 प्रतिशत, अनुसूचित जाति को 13 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग को 27 प्रतिशत तथा सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने का निर्णय, सामाजिक न्याय की दिशा में उठाया गया कदम है। उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि प्रदेश के सर्वसमाज ने हमारी सरकार की भावनाओं को समझा है। सामाजिक और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को न्याय देने के लिए आप सब ने सरकार के हाथ से हाथ मिलाया है, इसके लिए मैं इस मंच से पूरे प्रदेश की जनता को धन्यवाद देता हूं।

कॉलेजों में डेढ़ हजार प्राध्यापकों की होगी भर्ती
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने लोकवाणी में अतिथि शिक्षकों, शिक्षा मितान, शिक्षा मित्र जैसी योजनाओं के बारे में भी पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए बताया कि शिक्षकों की कमी की स्थिति में ऐसे पद बनाकर शिक्षा का काम चलाया जा रहा था। इसमें सारी समस्याएं इसलिए थी क्योंकि शिक्षकों की भर्ती प्लेसमेंट एजेंसियों के माध्यम से होती थीं। हमारी सरकार ने आते ही, एक ओर तो नियमित भर्ती की प्रक्रिया शुरू की, वहीं दूसरी ओर प्लेसमेंट एजेंसियों की दुकानदारी बंद की। विशेष परिस्थितियों में काम चलाने के लिए अतिथि शिक्षकों की भर्ती का अधिकार शाला प्रबंधन समितियों को दिया गया है। अब शिक्षकों का मानदेय शाला प्रबंधन समितियों के माध्यम से दिया जाता है, जिसके कारण कोई प्लेसमेंट एजेंसी डंडी नहीं मार सकती। उन्होंने कहा कि हमने कॉलेजों में लगभग डेढ़ हजार प्राध्यापकों की कमी पूरा करने के लिए प्रक्रिया शुरू की थी, लेकिन माननीय हाईकोर्ट से स्टे हो जाने के कारण कार्यवाही रूक गई है। माननीय हाईकोर्ट में शासन का पक्ष रखने प्राथमिकता से कार्यवाही की जा रही हैं।

राज्य में शिक्षा का अधिकार कानून को मिला विस्तार
मुख्यमंत्री श्री बघेल ने एक सवाल के जवाब में बताया कि छत्तीसगढ़ देश का सबसे पहला राज्य बन गया है, जिसमें शिक्षा का अधिकार कानून को विस्तार दिया है। राज्य सरकार सभी बच्चों और विशेषकर बालिका शिक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। हमने शिक्षा के अधिकार के तहत नि:शुल्क शिक्षा देने की 8वीं से बढ़ाकर कक्षा 12वीं तक कर दिया है, जिससे इस साल 4 हजार बच्चों को 9वीं कक्षा में प्रवेश मिला है और उनके आगामी कक्षा में जाने के साथ यह सिलसिला भी आगे बढ़ता जाएगा। प्रदेश में पहली बार डिजि दुनिया के नाम से एक कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिसमें छत्तीसगढ़ की सभी 4 हजार 330 हाईस्कूलों तथा हायर सेकेण्डरी स्कूलों में ई-क्लास रूम तथा ई-लैब स्थापित किए जा रहे हैं, इस तरह हम स्कूल स्तर से नए जमाने की आई.टी. आधारित पढ़ाई कराने की शुरूआत कर रहे हैं। दीक्षा नाम से मोबाइल एप्प के माध्यम से सारी पाठ्यपुस्तकें ई-सामग्री के रूप में उपलब्ध करायी जाएंगी। इतना ही नहीं राज्य की 6 बोलियों और भाषाओं में बिना इन्टरनेट के मोबाइल फोन पर पढ?े की सुविधा भी दी जाएगी। हम ऐसे अनेक नए काम कर रहे हैं, जिससे स्कूली शिक्षा का स्तर सुधरेगा।

युवाओं को अपना रास्ता बनाने दे रहे उपयुक्त अवसर
मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने प्रदेश में दो दर्जन नये कॉलेज खोलने की तैयारी कर ली है। जिसमें से 7 मॉडल डिग्री कॉलेज नक्सल प्रभावित तथा अत्यंत पिछड़े क्षेत्रों में खोले जा रहे हैं। मेरा मानना है कि अगर हमारे युवा साथी कुछ कर गुजरने की ठान लेते हैं और सही रास्ता अपनाते हैं तो आपको लक्ष्य पर पहुंचने से कोई रोक नहीं सकता। युवाओं की असीम ऊर्जा का उपयोग सिर्फ पढ़ाई-लिखाई तक सीमित नहीं है। आप लोगों के साहस और कौशल ने बड़े-बड़े मुकाम हासिल किये हैं। ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां हमारे युवा साथी अपने पैरों के निशान नहीं छोड़ सकते। इसलिए हम युवाओं को सिर्फ नौकरी तक सीमित रखने की मानसिकता नहीं रखते, बल्कि यह चाहते हैं कि वे हर क्षेत्र में नाम कमायें। इसलिए इस प्रदेश में एक ऐसा सपोर्ट सिस्टम बनाना चाहते हैं कि युवा अपना कौशल विकसित करें और अपना रास्ता खुद बना लें।

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