राहुल गांधी का फॉर्मूला, 7 चरणों का चक्रव्यूह भेदकर ही मिलेगा कांग्रेस का टिकट

नई दिल्ली

लोकसभा चुनाव में टिकट चाहने वाले उम्मीदवारों के चयन के लिए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने नया फॉर्मूला तय किया है. कांग्रेस पार्टी ने 7 सर्वे कराए हैं, इसके आधार पर प्रत्याशियों के नाम तय किए जाएंगे. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी और अहमद पटेल ने अपने-अपने स्तर पर ये सर्वे कराए हैं. इसके अलावा कांग्रेस ने शक्ति ऐप के जरिए भी एक सर्वे किया है. इसके अलावा राज्यों के प्रभारियों से ङी हर सीट के लिए एक-एक नाम मांगे गए हैं.

कांग्रेस ने देश की कुल 543 लोकसभा सीटों में से 350 सीटों पर सर्वे कराए हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने 4 सर्वे कराए हैं. जबकि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी और पार्टी के कोषाध्यक्ष अहमद पटेल ने भी एक-एक सर्वे कराए हैं. इसके अलावा एक सर्वे कांग्रेस ने अपने शक्ति ऐप के जरिए किया है.

कांग्रेस के उम्मीदवारों के चयन में सबसे ज्यादा तवज्जो शक्ति ऐप के द्वारा किए सर्वे को दी जा रही है. सातों सर्वे के लिए कांग्रेस ने कुल 100 प्वॉइंट तय किए थे. लेकिन शक्ति ऐप के जरिए किए गए सर्वे को सबसे ज्यादा 22 प्वॉइंट दिए गए हैं. गौरतलब है कि कांग्रेस ने जमीनी कार्यकर्ताओं से सीधे जुड़ने और उनके फीडबैक के लिए शक्ति ऐप बनाया था.

मौजूदा समय में 60 लाख से ज्यादा कार्यकर्ता इस ऐप के माध्यम से कांग्रेस से जुड़े हैं. माना जा रहा है कि शक्ति ऐप के जरिए कराए गए सर्वे में जमीनी कार्यकर्ताओं की राय है, इसलिए इस सर्वे को खास तवज्जो दी जा रही है.  

इसके अलावा कांग्रेस आलाकमान ने राज्यों के पार्टी प्रभारियों से लोकसभा सीट के उम्मीदवार के तौर पर एक-एक नाम मांगे हैं. जबकि पहले प्रभारी 2 से 3 नाम दिया करते थे. ऐसे में प्रभारियों की टेंशन बढ़ गई है, उन्हें इस बात का डर सता रहा है कि उन्होंने जो नाम भेजे हैं अगर शक्ति ऐप के माध्यम से वो नाम नहीं आए तो उनका क्या होगा. यही वजह है कि राज्यों के प्रभारी प्रत्याशी के नाम के चयन को लेकर काफी सावधानियां बरत रहे हैं.

हालांकि पार्टी ने तय किया है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और अहमद पटेल और शक्ति ऐप के जरिए कराए सर्वे में से एक नाम तय किए जाएंगे. इसके बाद राज्यों के प्रभारियों के द्वारा सुझाए गए नाम को भी सामने रखा जाएगा. ऐसे में अगर प्रभारी द्वारा भेजे गए नाम और सर्वे से तय किए गए नाम एक रहते हैं तो इस स्थिति में उसके नाम लोकसभा चुनाव के उम्मीदवारी पर मुहर लग जाएगी. अगर दोनों के नाम अलग-अलग रहते हैं तो ऐसी हालत में एक बार फिर उस संसदीय सीट पर दोनों के नामों को लेकर सर्वे कराया जाएगा. इसमें जिसके नाम पर ज्यादा सहमति रहेगी उसे पार्टी अपना उम्मीदवार घोषित करेगी.

गुजरात, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में उम्मीदवार का चयन करने के लिए कांग्रेस ने सर्वे कराए हैं.  2019 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती.

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