राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वे के आंकलन में MP उतरा खरा, राज्य सरकार को 223 करोड़ का ग्रांट

भोपाल
शौचालय निर्माण और स्वच्छता अभियान के लिए राष्ट्रीय वार्षिक ग्रामीण स्वच्छता सर्वे के आंकलन में मध्यप्रदेश खरा उतरा है। केन्द्र सरकार ने इसके लिए राज्य सरकार को 223 करोड़ रुपए का ग्रांट दिया है। अभी तक वित्त विभाग ने यह राशि पंचायत एवं ग्रामीण विभाग को उपलब्ध नहीं कराई है। इस राशि से प्रदेश में शौचालय निर्माण ठोस एवं तरल अपशिष्ट प्रबंधन का काम किया जाएगा और संक्रमण सुरक्षा किट पर इसे खर्च किया जाएगा।

 पिछले साल केन्द्र सरकार का फोकस स्वच्छ भारत मिशन के अंतर्गत टायलेट निर्माण पर था। मध्यप्रदेश में भी इसपर जमकर काम हुआ था इस बीच शौचालय निर्माण को लेकर गड़बड़ियां की खबरे भी अखबारों की सुर्खियां बनी थी।  शौचालय निर्माण कर ग्रामीण क्षेत्रों को खुले में शौचमुक्त ओडीएफ घोषित करने के लिए 29 फरवरी तक की समयसीमा दी गई थी। इस लक्ष्य को 31 मार्च तक पूरा करना था। इस बीच मध्यप्रदेश सहित पूरे देश में कोरोना महामारी का संक्रमण फैल गया और सारे काम बंद हो गए।

लेकिन पूरे साल भर जो काम हुआ और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग जल शक्ति मंत्रालय ने प्रदेश के गांवों में शौचालय की उपलब्धता, उसके उपयोग और गांव में ओडीएफ की निरंतरता का आंकलन गैर सरकारी एजेंसी से कराया है। इस सर्वे में श्रेष्ठ आने वाले राज्यों को परफारमेंस ग्रांट उपलब्ध कराई जाती है। मध्यप्रदेश भी केन्द्र सरकार के मापदंड पर इस सर्वे में खरा उतरा है। केन्द्र सरकार ने मध्यप्रदेश सरकार को 223 करोड़ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी है। यह पूरी तरह अनुदान राशि है। इस राशि से प्रदेश में स्वच्छता बनाए रखने के काम किए जाएंगे।

प्राथमिकता से उन गरीबों घरों में शौचालय बनाए जाएंगे जहां अभी भी शौचालय नहीं है। इसके अलावा अपशिष्ट प्रबंधन, प्रचार-प्रसार, संक्रमण सुरक्षा किट और अन्य नवाचारों पर यह राशि खर्च की जाएगी ताकि सेनेटाईजेशन और हाईजीन को बढ़ावा मिल  सके। फिलहाल यह राशि वित्त विभाग के पास पड़ी है, राशि मिलते ही इससे जोर-शोर से काम शुरु किए जाएंगे।

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