राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मालिकाना विवाद: शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली 
राजनीतिक रूप से संवेदनशील राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में दायर अपीलों पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। यह मामला चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ के समक्ष सूचीबद्ध है। इस पीठ द्वारा इलाहाबाद हाई कोर्ट के सितंबर 2010 के फैसले के खिलाफ दायर 14 अपीलों पर सुनवाई के लिए तीन सदस्यीय जजों की पीठ गठित किए जाने की उम्मीद है। आपको बता दें कि यह सुनवाई ऐसे समय में होने जा रही है जब आम चुनाव में कुछ ही महीने बचे हैं और राजनीतिक गलियारों के साथ-साथ तमाम संगठनों के द्वारा सरकार पर अध्यादेश लाने का दबाव है। वहीं, साल के पहले दिन एक इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने साफ कर दिया कि अयोध्या में राम मंदिर के मामले में न्यायिक प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही अध्यादेश लाने के बारे में निर्णय का सवाल उठेगा। गौरतलब है कि हाई कोर्ट ने इस विवाद पर अपने फैसले में 2.77 एकड़ भूमि का सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच समान रूप से बंटवारा करने का आदेश दिया था। 

सर्वोच्च अदालत ने पिछले साल 29 अक्टूबर को कहा था कि यह मामला जनवरी के प्रथम सप्ताह में उचित पीठ के समक्ष सूचीबद्ध होगा, जो इसकी सुनवाई का कार्यक्रम निर्धारित करेगी। बाद में अखिल भारत हिंदू महासभा ने अर्जी दायर कर सुनवाई की तारीख पहले करने का अनुरोध किया था, जिससे कोर्ट ने इनकार कर दिया था। हिंदू महासभा इस मामले में मूल वादियों में से एक एम. सिद्दीक के वारिसों द्वारा दायर अपील में एक प्रतिवादी है। इससे पहले 27 सितंबर, 2018 को तत्कालीन चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 2-1 के बहुमत से 1994 के एक फैसले में की गई टिप्पणी पांच जजों की पीठ के पास नए सिरे से विचार के लिए भेजने से इनकार कर दिया था। दरअसल, इस फैसले में टिप्पणी की गई थी कि मस्जिद इस्लाम का अभिन्न अंग नहीं है। 

सुनवाई से पहले सियासत तेज 
अनेक हिंदू संगठन विवादित स्थल पर राम मंदिर का जल्द निर्माण करने के लिए अध्यादेश लाने की मांग कर रहे हैं। वहीं, बीजेपी के सहयोगी और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने गुरुवार को राम मंदिर मुद्दे पर अध्यादेश का विरोध किया। उन्होंने कहा कि मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय अंतिम होना चाहिए। वहीं, अतंरराष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने राम मंदिर मामले में देश के हिंदुओं का भरोसा तोड़ा है। उधर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखा हमला बोलते हुए शिवसेना ने गुरुवार को कहा कि उसे इस बात पर ताज्जुब है कि अगर बीजेपी के नेतृत्व वाली वर्तमान सरकार के कार्यकाल में अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण नहीं होगा तो कब होगा? पार्टी ने कहा कि अगर राम मंदिर का निर्माण 2019 चुनावों से पहले नहीं हुआ तो यह देश के लोगों को धोखा देने जैसा होगा जिसके लिए बीजेपी एवं आरएसएस को माफी मांगनी होगी। 

संघ का अपना मत 
नागपुर में एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, 'हमारी भगवान राम में आस्था है और अयोध्या में राम मंदिर ही बनना चाहिए ऐसा मजबूत विश्वास है।' आपको बता दें कि भैयाजी जोशी ने राम मंदिर को लेकर पीएम मोदी के बयान के बाद मंगलवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि आरएसएस अपने रवैये पर अडिग है कि अयोध्या में मंदिर निर्माण के लिए कानून पारित किया जाए। उन्होंने कहा कि उन्हें पीएम मोदी के बयान के बारे में नहीं पता है लेकिन देश में हर कोई चाहता है कि राम मंदिर का निर्माण हो। पत्रकारों से बातचीत में भागवत ने साफ कहा कि वह आरएसएस महासचिव भैयाजी जोशी के बयान का समर्थन करते हैं, जो प्रधानमंत्री के इंटरव्यू के बाद आया था। 

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