राजधानी के दो बडे सरकारी अस्पतालों में मरीजों को करना होता है लम्बा इंतजार, रैनबसेरे में मरीजों की नो एंट्री

भोपाल
राजधानी के दो बडे सरकारी अस्पतालों में गंभीर मरीजों के इलाज में भी डॉक्टर रूचि नहीं ले रहे हैं। दूसरे जिलों के अस्पतालों से रिफर होकर गंभीर अवस्था में एम्स और हमीदिया अस्पताल में आने वाले मरीजों को दो-तीन दिन तक अस्पतालों के बाहर भीषण गर्मी में इंतजार करना पड रहा है। 

हार्ट सर्जरी वाले सीरियस पेशेंट को करना पडा गैलरी में दो दिन इंतजार
गुना जिले से रहने वाले आसिफ अली का हार्ट का आॅपरेशन हुआ था। जिस कारण उनके गले से आवाज नहीं निकल पाती है। आसिफ के पेट के निचले हिस्से में मवाद बनने के कारण गुना से डॉक्टरों ने एम्स रिफर किया था। एम्स के डॉक्टरों ने इधर से उधर घुमाया। उनकी पत्नी ने उनकी बीमारी हालत को बताकर अस्पताल में भर्ती कर इलाज करने का अनुरोध किया। लेकिन डॉक्टरों ने सिर्फ दर्द की दवा लिखकर दी। और तीन दिन बाद दिखाने को कहा। आसिफ की हालत बिगडने के डर से पत्नी को दो दिन एम्स के ट्रॉमा सेंटर के बाहर गैलरी में दिन-रात गुजारने पडे।

एम्स में आने वाले ज्यादातर गंभीर मरीजों को ओपीडी टाइम खत्म होने के बाद इलाज नहीं मिल पाता है। ऐसे में दूरदराज से आने वाले मरीजों को अस्पताल के बाहर गैलरी में दिन रात गुजारने पडते हैं। कैम्पस में संचालित रैनबसेरे में मरीजों को एंट्री नहीं दी जाती है। और न ही उन अटेंडरों को रहने दिया जाता है। जिनके मरीज भर्ती नहीं हो सके। हालांकि मरीजों को रैनबसेरे में न रखने के पीछे कर्मचारियों का तर्क है कि सिर्फ मरीजों के अटेंडरों को ही रहने की व्यवस्था है। सीरियस पेशेंट को रैनबसेरे में यदि कुछ हो गया तो उन्हें समस्या हो सकती है। इसलिए वे मरीजों को ठहरने नहीं देते। 

हमीदिया अस्पताल में इमरजेंसी और दवा काउंटर के पास बने चबूतरे पर मरीजों की भीड लगी रहती है। अस्पताल में गंभीर मरीजों के इलाज में भी कई बार डॉक्टर रूचि नहीं लेते हैं। होशंगाबाद जिले की सिवनी मालवा तहसील के रहने वाले 70 वर्षीय गंगाराम गोटुआ को सीने में तेज दर्द की शिकायत के चलते सिवनी-मालवा और होशंगाबाद में परिजन लेकर पंहुचे दोंनो अस्पतालों से हालत सीरियस होने के कारण हमीदिया अस्पताल रेफर किया गया। शनिवार को हमीदिया अस्पताल में डॉक्टरों ने भर्ती करने के बजाय जांचें कराते रहे। लेकिन इलाज शुरू नहीं किया। बुजुर्ग को स्ट्रेचर पर ही अस्पताल के बाहर परिजनों को तेज गर्मी में लिटाये रखना पडा। 

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