बिजली अधिकारियों की लापरवाही से 19 साल तक 4.35 मेगावाट कम बिजली, अब जाकर मिलेगी पूर्ण बिजली
भोपाल
बिजली अधिकारियों की लापरवाही और नियमों के पेंच ने मध्यप्रदेश को 19 साल तक 4.35 मेगावाट कम बिजली दिलाई है। उत्तर प्रदेश में स्थापित हाइड्रो जनरेशन पावर सेंटर से मिलने वाली इस बिजली सप्लाई में आए पेंच को अब जाकर दुरुस्त किया गया है और दोनों ही राज्यों के बीच हुए करार के आधार पर अब बिजली का बंटवारा किया जा सकेगा। इसके लिए दोनों ही राज्यों के प्रमुख सचिव और अपर मुख्य सचिव स्तर के अफसरों के बीच बैठक के बाद इसे मंजूरी दी गई है।
राज्य विद्युत मंडल का तीन विद्युत वितरण कम्पनियों में विघटन होने के पहले एमपी और यूपी सरकार के बीच राजघाट अंतर्राज्यीय परियोजना से तैयार होने वाली बिजली के बंटवारे को लेकर करार हुआ था। इस करार के मुताबिक एमपी को 26.85 मेगावाट (कुल शेयर का 59.68 प्रतिशत) बिजली मिलनी थी। इसके विपरीत मध्यप्रदेश को कुल 45 मेगावाट वाले प्लांट में से 22.5 मेगावाट (कुल शेयर का 50 प्रतिशत) बिजली ही मिलती रही। सूत्रों ने बताया कि बिजली के लिए हुए करार के बीच राज्य विद्युत मंडल का विघटन तीन विद्युत वितरण कम्पनियों और पावर जनरेटिंग व ट्रांसमिशन कम्पनियों में हो गया। इसके चलते करार आदेश हुई त्रुटि को सुधारा नहीं जा सका। जब इसका खुलासा हुआ तो कम्पनियों के नियमों के पेंच दूर किए गए और दोनों ही राज्यों के ऊर्जा विभाग के उच्च स्तर के अफसरों की बैठक में तथ्य रखे गए और अब जाकर इस पर सही स्थिति बन सकी है। इन स्थितियों में अब 19 साल बाद यूपी में स्थापित राजघाट परियोजना से एमपी को 4.35 मेगावाट बिजली इस परियोजना से और मिलेगी।