रक्षा उपकरणों की खरीद प्रक्रिया तेज में आएगी तेजी, जानें क्या है नया नियम

नई दिल्ली 
रक्षा उपकरणों की खरीद में होने वाले विलंब को दूर करने के लिए सरकार ने नियमों में संशोधन कर विक्रेता कंपनियों पर भी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। नए नियमों के मुताबिक, जिस दिन किसी कंपनी को अग्रिम भुगतान की राशि प्रदान की जाएगी, उसी दिन से रक्षा सामग्री की आपूर्ति की तारीख तय होगी। अभी तक नियमों में ऐसा प्रावधान नहीं था।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, हाल में रक्षा खरीद नीति-2016 में जरूरी संशोधन किए गए हैं। इन संशोधनों के जरिये जहां पूरी खरीद प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने की कोशिश की गई है, वहीं इसे फास्ट ट्रैक भी किया गया है। दरअसल, सारी प्रक्रिया पूरी होने और कंपनियों को अग्रिम भुगतान के बावजूद रक्षा उपकरणों की आपूर्ति में भारी विलंब होता है। कैग ने कई बार अपनी रिपोर्ट में इस पर चिंता भी जाहिर की है। यह विलंब छह महीनों से लेकर तीन साल तक का पाया गया है।

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नए नियमों के तहत खरीद की प्रक्रिया पूरी होने के बाद संबंधित कंपनी के साथ अनुबंध किया जाएगा। इस समझौते के 45 दिनों के भीतर सरकार को अग्रिम राशि का भुगतान करना होगा। उपकरणों की आपूर्ति के लिए अनुबंध में समय निर्धारित किया जाता है, लेकिन समय की गिनती कब से की जाए, इसे लेकर अभी तक कोई स्पष्ट नियम नहीं थे। मगर, नए नियमों में साफ कर दिया गया है कि अग्रिम भुगतान के दिन से ही आपूर्ति के लिए तय अविध की तारीख गिनी जाएगी। यदि किसी सौदे में अग्रिम भुगतान नहीं किया जाता है तो ऐसी स्थिति में अनुबंध की तिथि से ही आपूर्ति के लिए तय अवधि की तारीख मानी जाएगी।

जानकारों का कहना है कि इस प्रक्रिया से खासकर विदेशी कंपनियां बहाने बनाकर रक्षा उपकरणों की आपूर्ति में देरी नहीं कर पाएंगी। इन कंपनियों पर समय के भीतर उपकरण मुहैया कराने का दबाव बनेगा। हालांकि, रक्षा नीति में देरी पर जुर्माने का प्रावधान पहले से ही है।

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