रंगपंचमी की गेर के संबंध में बैठक सम्पन्न, गेर के दौरान असामाजिक तत्वों पर रहेगी कड़ी नजर 

इन्दौर  
अपर कलेक्टर श्री अजय देव शर्मा की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभाकक्ष में रंगपचंमी (25 मार्च) पर गेर निकालने के लिये बैठक आयोजित की गई। इस अवसर पर अपर कलेक्टर श्री शर्मा ने कहा कि रंगपंचमी पर टोरी कार्नर से परम्परागत रूप से गेर निकाली जाती है। यह गेर राजवाड़ा से सराफा होते हुये वापस टोरी कार्नर पर समाप्त होती है। गेर यात्रा के दौरान असामाजिक तत्वों पर पुलिस और प्रशासन द्वारा कड़ी नजर रखी जायेगी। जरूरत पड़ने पर असामाजिक तत्वों के खिलाफ कार्यवाही भी की जायेगी। गेर में बाधा उत्पन्न करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जायेगी। रास्ते में खतरनाक पुराने मकानों पर बैठने से आम नागरिक को रोका जायेगा।

इस अवसर पुलिस अधीक्षक श्री अवधेश कुमार गोस्वामी ने कहा कि पिछले साल के वीडियो से असामाजिक तत्वों की पहचान कर  उनके खिलाफ कार्यवाही की जायेगी। पूरी यात्रा के दौरान पुलिस की पर्याप्त व्यवस्था रहेगी।

इस अवसर पर बैठक में बताया कि यह गेर 1947 से टोरी कार्नर से निकल रही है। गेर शब्द "घेर" का अपभ्रंश है। "घेर" का अर्थ घेरकर रंग लगाना है। इसमें हर जाति और धर्म के लोक भाग लेते है। इसकी शुरूआत टोरी  कार्नर से हुई। अब इसमें संगम कार्नर और रसिया कार्नर के लोग भी भाग लेने लगे है गेर परम्परा अब पूरे मालवा क्षेत्र में फैल चुकी है। राजवाड़ा पर इसे एक लाख से अधिक लोग दखते हैं। रंगपंचमी में रंग के पाँच प्रमुख रंगों का संगम है। पाँच रंगों में गीला होने के बाद मनुष्य तरोताजा हो जाता है। इस वर्ष यह 73वां आयोजन है। अभी तक कोई दुर्घटना नहीं हुई है। देपालपुर सांवरे, महू, हातोद आदि स्थानों से लोग इसे देखने के लिये आते है। इसका मूल उद्देश्य सबको समानता के रूप में रंगना है। जिला प्रशासन द्वारा संस्कृति विभाग के माध्यम से यूनेस्को (संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक,  सामाजिक और सांस्कृतिक संगठन) द्वारा इसे संरक्षित घोषित कराने का प्रयास किया जा रहा है।

इस अवसर पर बड़ी संख्या में राजस्व अधिकारी, पुलिस अधिकारी, और गेर आयोजक मौजूद थे।

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