लोकसभा चुनाव के बाद BJP का अब नगरीय निकाय चुनावों पर फोकस
भोपाल
लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के सहारे 28 सीटें जीतने के बाद भाजपा अब नगरीय निकाय चुनावों पर फोकस करेगी। इसके लिए चुनाव आयोग द्वारा घोषित किए गए परिणामों की बूथवार समीक्षा करने की तैयारी संगठन के निर्देश पर जिला अध्यक्षों ने शुरू कर दी है। ये नेता जिन बूथों पर कम वोट मिले हैं, वहां के मतदाताओं पर फोकस करेंगे।
चुनाव में जिस तरह से भाजपा को राष्ट्रवाद के साथ प्रदेश के स्थानीय मुद्दों पर वोट का फायदा मिला है, उसे भुनाने के लिए भाजपा अभी से तैयारी करेगी। युवाओं को रोजगार, किसान कर्जमाफी जैसे मुद्दों पर अब तक सिर्फ कागजी कार्रवाई से राज्य सरकार के विरुद्ध बने माहौल को अगले छह माह तक मुद्दा बनाए रखने की नीति पर काम करने की तैयारी है। इसीलिए भाजपा ने तय किया है कि लोकसभा चुनाव में सभी विधानसभा क्षेत्रों के हिसाब से बूथवार पार्टी को दिए गए मतों की समीक्षा की जाए। जहां एकतरफा माहौल है, वहां सामान्य सक्रियता रखी जाए और जहां वोटिंग में भाजपा की अनदेखी हुई है, वहां नेताओं को एक्टिव किया जाए।
ये ऐसे वोटरों से मिलकर उन्हें भाजपा की 15 साल की पुरानी सरकार की योजनाओं और केंद्र सरकार के कामों के बारे में बताएंगे। पार्टी नेताओं का मानना है कि वैसे तो नगरीय निकाय चुनाव के मुद्दे लोकसभा से भिन्न होते हैं। ऐसे में वोटिंग प्रतिशत का इतना अधिक फायदा तो नहीं होगा पर अभी से मेहनत हुई तो स्थानीय मुद्दों के माध्यम से भाजपा के पक्ष में माहौल बनाया जा सकेगा। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि चुनाव के दौरान सरकार होने का फायदा कांग्रेस नहीं उठा पाए।
लोकसभा चुनाव में मिली जीत को लेकर भाजपा का कार्यकर्ता खुश है और पांच माह पहले मिली हार के दौरान संगठन के नेताओं पर ठीकरा फोड़ने की कार्यकर्ताओं की आतुरता इससे कम हुई है। कार्यकर्ता यह कह रहे हैं कि इस चुनाव में पूर्व सीएम शिवराज ने जहां चुनावी सभाओं और प्रदेश कार्यालय की बैठकों में समय देकर कार्यकर्ताओं को समझने और रणनीति तय करने का काम किया वहीं प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह खुद चुनाव लड़ने के दौरान भी पार्टी को सर्वोपरि मानकर पूरी तरह संगठन की एकजुटता के लिए एक्टिव रहे।
दूसरी ओर कार्यकर्ताओं के निशाने पर चल रहे सुहास भगत को लेकर भी कार्यकर्ताओं का गुस्सा कम हुआ है। यह कहा जा रहा है कि पिछले चुनाव में हुई किरकिरी के बाद उन्होंने छोटे कार्यकर्ताओं से संवाद किया और जहां पार्टी में शिकवा शिकायतों की स्थिति बनी वहां खुद जाकर पार्टी के लिए काम करने की खातिर उत्साहित किया है। राष्ट्रीय नेताओं की सभाओं के साथ इन सबकी मेहनत के चलते भाजपा को जीत हासिल करने में सफलता मिली।