यूपी में प्रतिष्ठा बचाने के लिए योगी ने दिन-रात एक किया,जानिए कितनी की रैलियां

 लखनऊ 

चुनावी जंग में प्रचार अभियान का नगाड़ा 10 मार्च को बजा। 17 मई को शांत हो गया। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने यूपी का किला फतेह करने के लिए दिन रात एक कर दिया। उन्होंने देशभर में 170 रैलियों तो की हीं, साथ ही दूसरे 9 राज्यों में जाकर विरोधियों को ललकारा और कमल खिलाने के लिए जनता को रिझाया। 

खास कर ममता बनर्जी के गढ़ में बंगाल में जाकर मुस्लिम तृष्टीकरण व हिंदुओं को अपमानित करने के सवाल पर  तृणमूल कांग्रेस को निशाने पर रखा। यही नहीं जब उन पर 72 घंटे की प्रचार करने पर पाबंदी लगी तो उन्होंने भक्ति के जरिए सियासी शक्ति पाने की कोशिश की। अब 23 मई को साफ होगा कि योगी आदित्यनाथ की मेहनत व उनकी सरकार के कामकाज का जनता पर कितना असर पड़ा। वह भारतीय जनता पार्टी के बड़े स्टार प्रचारक के रूप में सामने आए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के बाद वह तीसरे नेता रहे जिन्होंने यूपी के अलावा दूसरे राज्यों में इतनी सारी सभाएं कीं। बतौर स्टार प्रचारक उनके प्रचार अभियान पर सबकी निगाहें लगी थीं। 

उन्होंने यूपी में 170 रैलियों व रोड शो के अलावा बिहार, उत्तराखंड, तेलंगाना, आंधप्रदेश  पश्चिमी बंगाल, राजस्थान , उड़ीसा मध्यप्रदेश जाकर भी जनसभाएं कीं। यही नहीं सीएम पर जब आयोग ने 72 घंटे की पाबंदी लगाई तो उन्होंने इसे भी अपनी ताकत बना लिया। सवा दो महीने वक्त, यूपी के अलावा सात राज्यों का दौरा और छोटी बड़ी सौ से ज्यादा जनसभाएं व रैलियां। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मिशन 2019 को कामयाब बनाने के लिए इतने वक्त में कोई कसर नहीं उठा रखी। 

असल में जब 10 मार्च को लोकसभा चुनाव की डुगडुगी बजी थी, तो मुख्यमंत्री ने चुनावी जंग की तारीखों के ऐलान का स्वागत करते हुए कहा था, कि लोकतंत्र के ‘महाकुंभ’ की घोषणा हो गई है। यह आम चुनावों की तारीखों का एलान नहीं, देश के यशस्वी प्रधानमंत्री  के नेतृत्व में नए भारत के निर्माण की प्रक्रिया को जारी रखने का एलान है। योगी आदित्यनाथ 24 मार्च से प्रचार अभियान की शुरुआत सहारनपुर से विजय संकल्प रैली की शुरुआत की। इसके लिए पहले उन्होंने माता शाकुंबरी देवी के मंदिर में दर्शन कर आशीर्वाद लिया और शुक्रवार 17 मई को उन्होंने अपनी आखिरी जनसभा अपने गृह नगर गोरखपुर में की। 

हिंदुत्व, विकास व राष्ट्रवाद पर फोकस   : पश्चिमी यूपी में सीएम ने कहा, कांवड यात्रा भगवान शिव की यात्रा है।  खूब डीजे बजाईये ढोल नगाडा बजाईये कोई रोक टोक नहीं। सीएम योगी आदित्यनाथ को जहां जाने का मौका मिला ,वहां जाकर उन्होंने विरोधियों को ललकारा और कमल के लिए वोट मांगा। खास बात यह कि उन्होंने एक ओर हिंदुत्व के एजेंडे को खूब धार दी और प्रखर राष्ट्रवाद को अपने चुनाव अभियान का मुद्दा बनाया तो वहीं अपने अब तक के मुख्यमंत्रित्वकाल में हासिल उपलब्धियों व विकास के कामों को बखूबी सामने रखा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर नया चुनावी नारा लांच किया। उन्होंने कहा  यूपी 74 पार फिर एक बार मोदी सरकार…। साथ में उन्होंने एक कविता भी ट्वीट की है। इसमें उन्होंने लिखा है, न जाति न धर्म, न ऊंच न नीच। हम पहुँचा रहे विकास सबके बीच। हिंदुस्तान, कर रहा अभिमान,उत्तर प्रदेश गढ़ रहा नए प्रतिमान, रच रहा नयी पहचान। 

अखिलेश-मायावती खास तौर पर निशाने पर रहे 
योगी ने यूपी में सपा बसपा गठबंधन को बड़ी चुनौती माना और इसीलिए उनके भाषणों में यह गठबंधन निशाने पर रहा। बुआ बबुआ के गठजोड़ को निशाने पर लेते हुए कहा, कि भाजपा राज के कारण चोरों को चांदनी अच्छी नहीं लगती। बुंदेलखंड में उन्होंने सपा-बसपा की दोस्ती पर तंज करते हुए कहा कि झूठे को झूठा मिले, दुंणा बंधे सनेह। उन्होंने कहा कि मतलब जब दो झूठ मिल जाते हैं तब दोनों में स्नेह और निकटता बढ़ जाती है और यह निकटता सपा-बसपा में देखी जा सकती है। एक जगह उन्होंने कहा कि साइकिल पर हाथी बैठ गया साइकिल पंक्चर हो गई। उन्होंने सपा बसपा को निशाने पर लेते हुए कहा टोंटी चोर, भ्रष्टाचार की जननी जैसे जुमले उछाले।  उन्होंने अपनी आखिरी चुनाव रैली में कहा कि सपा बसपा में जबरदस्त हिंसा हो सकती है, इसलिए उन्होंने पुलिस को पहले से ही अलर्ट कर दिया है।

यूपी के अलावा 9 राज्यों का दौरा 
भाजपा ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता देखते हुए दूसरे राज्यों की चुनावी जंग में भी उतारा। वह भाजपा के स्टार प्रचारक के रूप में अनेक राज्यों में गए। वह बंगाल के चुनावी दौरे पर दो बार गये और छह लोकसभा सीटों पर प्रचार कर तृणमूल कांग्रेस का निशाने पर लिया। वह असोम, उत्तराखंड, बंगाल, राजस्थान, मध्यप्रदेश, तेलंगाना, आंधप्रदेश , छत्तीसगढ़, बिहार गये जहां उन्होंने 20 से ज्यादा चुनावी जनसभाएं कीं। 

यूपी में 140 रैलियां कीं
सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे प्रदेश की 80 संसदीय क्षेत्रों में 140 से ज्यादा रैलियां कीं। उन्होंने गृह नगर गोरखपुर के भी खूब दौरे किये। यहां तो उनकी व्यक्गित प्रतिष्ठा भी जुड़ी है। ऐसे में उन्होंने यहां कई जनसभाएं कीं। इसके अलावा सीएम ने पूरे प्रदेश में विभिन्न रोड शो, सम्मेलनों, प्रेस वार्ता के जरिए भी पार्टी का प्रचार किया। कई जगह उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी संग के जनसभाओं में शिरकत की। इसके अलावा सीएम फेसबुक, ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर भी सक्रिय रहते हुए विपक्षी हमलों का  जवाब दिया। 

भक्ति से ली सियासी शक्ति 
विवादित बोल पर जब चुनाव आयोग ने योगी आदित्यनाथ के प्रचार अभियान पर 72 घंटे की रोक लगाई तो उन्होंने इसका  पालन करते हुए कोई प्रचार नहीं किया और मीडिया से बात भी नहीं की। इतने वक्त का इस्तेमाल उन्होंने पूजा पाठ, मंदिरों में दर्शन व सामाजिक कार्य में लीन रह कर बिताया। इसकी चर्चा भी खूब हुई । वह भक्ति से सियासी शक्ति लेते दिखे। पाबंदी लगने के अगले रोज वह लखनऊ के हनुमान सेतु मंदिर

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