यमुना एक्सप्रेसवेः 9 महीने में 357 हादसे, 150 से ज्यादा लोगों की मौत

 
नई दिल्ली 

उत्तर प्रदेश के यमुना एक्सप्रेसवे पर हुए सड़क हादसों में इस साल अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. साल 2012 में एक्सप्रेसवे शुरू होने के बाद हुई मौतों में इस साल सबसे ज्यादा मौते हुई हैं. आरटीआई से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 165 किलोमीटर लंबे यमुना एक्सप्रेसवे के दिल्ली-आगरा रूट पर 31 जुलाई तक 357 हादसे हुए. इन हादसों में लगभग 822 लोग घायल हुए जबकि 145 लोगों की मौत हो गई. यह आरटीआई आगरा के रहने वाले एक वकील कृष्णा चंद जैन ने दाखिल की थी. आरटीआई के अनुसार, बीते अगस्त और सितंबर महीने में ग्रेटर नोएडा में भी एक्सप्रेसवे पर तीन सड़क हादसे हुए जिनमें कुल 9 लोगों की मौत हुई. इन हादसों के बाद एक्सप्रेसवे पर मरने वालों की संख्या 150 से ज्यादा हो गई है.

2018 में 659 सड़क हादसे, 111 मौतें

आंकड़ों के मुताबिक, साल 2018 में 659 सड़क हादसे हुए जिनमें 1,388 लोग घायल हुए जबकि 111 लोगों की मौत हो गई. वहीं 2017 में 763 हादसों में 1,426 घायल हुए और 146 लोग मारे गए. साल 2016 में 1,219 हादसों में 1,524 लोग घायल हुए और 133 लोगों की मौत हुई. इसी तरह 2015 में 919 सड़क हादसों में 1,392 घायल और 142 लोग मारे गए.

अगस्त 2012, में शुरू हुए एक्सप्रेस वे के उद्घाटन से लेकर 31 जनवरी, 2018 तक इस पर लगभग 5,000 दुर्घटनाएं हो चुकी हैं और इन दुर्घटनाओं में सैकड़ों लोगों की जिंदगियां खत्म हो गईं. इसी महीने 13 सितंबर को ग्रेटर नोएडा में एक्सप्रेस वे पर हुए हादसे में 3 कॉलेज स्टूडेंट्स की मौत हो गई थी. जबकि 10 सितंबर को दो लोगों की मौत हो गई थी. यमुना एक्सप्रेस वे इंडस्ट्रियल डेवलप्मेंट अथॉरिटी (YEIDA) के मुताबिक, सड़क हादसों की अधिकतम वजह ओवर स्पीडिंग और टॉयरों का फटना है.

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