मौन व्रत रख अब प्रायश्चित करेंगी साध्वी प्रज्ञा

भोपाल
लोकसभा चुनाव के दौरान विवादित बयान देने के बाद चौतरफा घिरीं बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने माफी मांगते हुए मौन व्रत रखने का फैसला किया है। मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से बीजेपी प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ने हाल ही में महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया था। उनके इस बयान की न सिर्फ विपक्ष बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने भी निंदा की थी।

अपने अधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट करते हुए साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने लिखा, 'चुनावी प्रक्रियाओं के उपरान्त अब समय है चिंतन मनन का, इस दौरान मेरे शब्दों से समस्त देशभक्तों को यदि ठेस पहुंची है तो मैं क्षमाप्रार्थी हूं और सार्वजनिक जीवन की मर्यादा के अंतर्गत प्रायश्चित हेतु 21 पहर के मौन व कठोर तपस्यारत हो रही हूं। हरिः ॐ।'

पीएम ने कहा था- दिल से माफ नहीं कर पाऊंगा
गोडसे पर दिए विवादित बयान के बाद राजनीतिक तापमान बढ़ने से बीजेपी ने प्रज्ञा के बयान से किनारा कर लिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी खरगोन में चुनावी यात्रा के दौरान एक टीवी चैनल से कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को देशभक्त बताया जाना महात्मा गांधी का अपमान है। उन्होंने यह भी कहा कि वह इस टिप्पणी के लिए प्रज्ञा को मन से कभी माफ नहीं कर पाएंगे।

बीजेपी के रोड शो से बाहर
इसके बाद आखिरी चरण के चुनाव प्रचार के दौरान भी प्रज्ञा को बीजेपी ने रोड शो से दूर रखा। हालांकि प्रज्ञा ने स्वास्थ्य ठीक नहीं होने का कारण बताया था। खबर के मुताबिक, प्रज्ञा शुक्रवार को खंडवा लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार नंदकुमार सिंह चौहान के पक्ष में रोड शो करने बुरहानपुर शहर पहुंचीं थी। प्रदेश बीजेपी के एक नेता ने बताया था कि प्रज्ञा रोड शो करतीं उससे पहले ही उन्हें इससे दूर रहने के लिए कहा गया। उन्होंने बताया था कि इस वजह से भगवाधारी साध्वी रोड शो में शामिल नहीं हो सकीं और होटल के कमरे में ही रहीं।

चुनाव आयोग ने लगाया था 72 घंटे का बैन
मुंबई में 26/11 के आतंकवादी हमले में शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे पर दिए गए बयान कि उनके (साध्वी प्रज्ञा) शाप के कारण करकरे की आतंकवादी हमले में मौत हुई और बाबरी ढांचे को ढहाने में शामिल होने के विवादित बयान पर मचे शोर के बाद बीजेपी ने प्रज्ञा को चुप रहने की सलाह दी थी। करकरे पर दिए गए बयान को प्रज्ञा ने बाद में वापस लेते हुए माफी मांग ली थी। इन विवादित बयानों के बाद बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा को अनुशासित रहने के लिए कहा था और चुनाव आयोग ने भी साध्वी पर 72 घंटे के लिए प्रचार पर प्रतिबंध लगा दिया था।

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