मौत के मुंह में जीते हैं ये, कहलाते हैं ‘खतरों के खिलाड़ी’
दुनिया में ऐसे कई लोग होते हैं जिनमें अपने काम को लेकर गजब का जज्बा होता है। अपने इस जज्बे के लिए ये लोग मौत के मुंह में भी काम करने को तैयार होते हैं। ऐसे ही एक शख्स के बारे में आज आपको बताने जा रहे हैं। 36 साल के माउंट इजेन पिछले 10 सालों से जावा के सक्रिय ज्वालामुखी के मुख पर काम करते हैं। इजेन एक माइनर हैं। और कई सालों से यहां सल्फेट की खान में काम कर रहे हैं।
'डर के आगे जीत है' वाले स्लोगन को सच करने वाले इजेन का कहना है कि अब ऐसा लगता है 'यहीं मेरा घर है। यहां पर मुझे सुकून मिलता है। मैं पिछले कई सालों से यहां काम कर रहा हूं।' इजेन ने इस खतरनाक ज्वालामुखी के आस-पास अपनी दुनिया बना ली है।
ज्वालामुखी से कुछ दूरी पर इजेन ने एक अपना रेस्टोरेंट भी खोला है इसमें इजेन खुद ही खाना बनाते हैं। जब ज्वालामुखी शांत रहता है तो यहां पर कई टूरिस्ट भी आते रहते हैं। फोटोग्राफर्स का तो यहां आना जाना लगा रहता है। इससे इजेन का रेस्टोरेंट भी चलता रहता है।
जावा का ये सक्रिय ज्वालामुखी कब फट जाए इस बात की कोई जानकारी नहीं होती है। गर्म लावा, धुंआ और कई हानिकारक गैस यहां पर कई बीमीरियों को बुलाता है। लेकिन इजेन अपनी मेहनत से यहां काम करते हैं और सल्फेट के खानों से सल्फेट निकालते हैं।
यहां से कुछ ही दूरी पर इजेन का अपना घर और परिवार भी है। जिसमें उसकी पत्नी और एक बेटा रहता है। इजेन ने घर के पास अपनी खेती भी की हुई है। ज्वालामुखी से निकलने वाली मिट्टी बहुत उपजाऊ होती है इसलिए इजेन वहां की मिट्टी को अपने खेतों में यूज करता है जिससे अच्छी फसल भी होती है। फसल से ही इजेन का घर आसानी से चल सकता है लेकिन इजेन अपने खतरे से भरे माइनिंग के काम को नहीं छोड़ना चाहते हैं।