मोबाइल फोन निर्यातक बना भारत 

 
नई दिल्ली 

भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच लद्दाख सीमा पर हालिया तनाव के कारण एक बार फिर भारत में चीन निर्मित उत्पादों का बहिष्कार करने का आह्वान किया जा रहा है. इधर भारत में मोबाइल फोन उद्योग में चीनी निर्माताओं का दबदबा है. सस्ते बजट के फोन की भारी मांग के कारण भारत एक संभावनाशील बाजार बन गया है. लेकिन क्या हम चीनी वस्तुओं पर निर्भरता को कम कर सकते हैं?

क्या घरेलू मांग को पूरा करने के साथ-साथ पूरी तरह "मेड इन इंडिया" फोन का निर्यात करने में सक्षम हो सकते हैं? इंडिया टुडे की डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने पाया कि फिलहाल, निकट भविष्य में ऐसा होने नहीं जा रहा है.

मोबाइल फोन व्यापार का आंकड़ा कहता है कि भारत पहली बार इस कमोडिटी का शुद्ध निर्यातक बन गया है. अब तक भारत में मोबाइल फोन का आयात इसके निर्यात से हमेशा अधिक था. वित्त वर्ष 2019-20 में भारत ने 41.5 मिलियन (4.15 करोड़) फोन निर्यात किए और 5.6 मिलियन (56 लाख) फोन आयात किए. यानी भारत ने 36 मिलियन (3.60 करोड़) यूनिट का शुद्ध निर्यात किया. लेकिन क्या इसका मलतब यह लगाया जाए कि आने वाले दिनों में चीनी प्लेयर्स भारतीय बाजार से बाजार होने जा रहे हैं?

असेंबलिंग हब

मोबाइल फोन के ज्यादा निर्यात का मतलब यह नहीं है कि उनका यहां पूरी तरह से उत्पादन हो रहा है. इंडियन सेलुलर एंड इलेक्टॉनिक्स एसोसिएशन के मुताबिक, देश में मोबाइल फोन मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयां 2014 में सिर्फ दो थीं जो 2018 में बढ़कर 268 हो गई हैं. लेकिन आंकड़े खंगालने से पता चलता है कि सेलफोन भारत में बनने से ज्यादा यहां असेंबल होते हैं.

जैसा कि क्रेडिट सुइस का प्रेस रिलीज नोट कहता है कि इतनी बड़ी संख्या में कारखानों के होने के बावजूद भारत में मोबाइल फोन विनिर्माण का औसत मुश्किल से 10 प्रतिशत रहा है.

2017 में सरकार ने एक चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम शुरू किया, जिसके तहत मोबाइल पार्ट्स के लोकल सोर्सिंग को प्रोत्साहित किया जाता है. इसके तहत चार्जर, माइक्रोफोन, फोन कैमरा आदि उत्पादों का आयात करने पर कस्टम ड्यूटी देनी होगी, लेकिन इनके निर्माण के लिए जरूरी पार्ट्स मंगाने पर कस्टम ड्यूटी नहीं देनी होगी.
  
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की नवीनतम वार्षिक रिपोर्ट (2018-19) में कहा गया है, “बजट 2015-16 में घरेलू सेल्युलर मोबाइल हैंडसेट विनिर्माताओं के पक्ष में 11.5% का अंतर लाने वाली डिफरेंशियल एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई गई… इसने सेलुलर मोबाइल हैंडसेट निर्माण में असेंबलिंग, प्रोग्रामिंग, टेस्टिंग और पैकेजिंग (APTP) मॉडल को प्रोत्साहन दिया.”

 
हाल में पॉलिसी रिफॉर्म
मोबाइल फोन के पार्ट्स के आयात को प्रोत्साहन से एक और असर पड़ा है. काउंटरपॉइंट रिसर्च के एसोसिएट डायरेक्टर तरुण पाठक ने पिछले साल कहा था कि 2018 में लोकल वैल्यू एडिशन बढ़कर 17 फीसदी हो सकता है और इससे हमें 2.5 बिलियन डॉलर विदेशी मुद्रा की बचत हुई है, लेकिन इससे मोबाइल कंपोनेंट्स का आयात बढ़कर 13.5 बिलियन डॉलर हो गया है, क्योंकि भारत कई कीमती पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग नहीं करता है.
  

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