मैंने राजीव पर बस फैक्ट बताया, कांग्रेस आपा क्यों खो रही: मोदी
नई दिल्ली
लोकसभा चुनाव के लिए पांच फेज की वोटिंग हो चुकी है। बस, 118 सीटों पर चुनाव होना बाकी है। इस गहमागहमी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी मुद्दों, अपनी सरकार के कामकाज, अर्थव्यवस्था की स्थिति, विपक्ष के आरोपों पर जवाब देने समेत देश के राजनीतिक परिदृश्य पर यहां पीएम ने राजीव गांधी पर ताजा विवाद, एयर स्ट्राइक, सेना को प्रचार का मुद्दा बनाए जाने पर 'मन की बात' कही।
आप पूरा देश घूम रहे हैं। किस तरह का मूड आप देश की जनता का देख रहे हैं?
2014 को लेकर जो एनालिसिस होता था, उसमें यह आता था कि यूपीए सरकार के प्रति लोगों में इतना गुस्सा था कि मोदी को बिठा दिया। मैं नया था, हमको भी लगता था कि इसलिए देश ने मुझे मौका दिया, पर अब मुझे लगता है कि ऐसा नहीं है। देश की एक बहुत मैच्योर थिंकिंग है। अस्थिरता से देश का कितना नुकसान हुआ है। देश के 30 साल इसमें गए हैं। देश में एक स्थिर सरकार होनी चाहिए, यह 2014 में जनता का मिजाज रहा होगा, ऐसा मुझे आज ज्यादा महसूस होता है। इन दिनों मैं देखता हूं कि जनता के सामने यह क्लियर है कि देश को स्थिर सरकार चाहिए। दूसरा 2014 में एक उत्सुकता थी कि मोदी कौन है, नाम सुना है, गुजरात में उसने अच्छा काम किया है? अभी उसने खुद देखा है। नाम और काम, आज दोनों जनता के सामने हैं और इसलिए मेरा पूरा विश्वास है कि 2019 में 2014 से ज्यादा हमारा विस्तार होगा, बीजेपी का भी और एनडीए का भी। हम पिछली बार नॉर्थ-ईस्ट में कम थे, साउथ में कम थे। इस बार ईस्टर्न इंडिया हो, साउथ हो, ये भी हमें सेवा करने का मौका देंगे।
2014 के मोदी व 2019 के मोदी में, अपने आप में क्या फर्क देखते हैं?
एक तो मुझे लगता है कि जो बहती नहीं, बढ़ती नहीं, तो जिंदगी नहीं। जिंदगी बहती भी होनी चाहिए और बढ़ती भी होनी चाहिए। दूसरा, अगर मैं पॉलिटिकल दुनिया को देखूं, तो मैं गुजरात में था, तो ऑल इंडिया लेवल के लोग मुझे साल में तीन चार बार गाली देते थे और मेरा डाइजेशन उतना ही था। 2019 में रोज नई गाली और महामिलावट के जितने साथी हैं, दुनिया के हर डिक्शनरी से निकाली गई गाली देते हैं, तो मेरा डाइजेशन पावर काफी बढ़ा है।
आपने नवीन पटनायक की तारीफ की है। उसके पहले आपने एक मीटिंग में मायावती के लिए कहा था कि उनका इस्तेमाल हो गया। इस नरमी को अगर चुनाव के संदर्भ में देखा जाए, तो आप क्या कहेंगे?
ये हमारे देश में जो अंपायर है, वही बॉलिंग और बैटिंग करना शुरू कर देते हैं। जो चीजें जैसी हैं, वैसी रिपोर्ट करने के बजाय दिमाग में चौबीसों घंटे राजनीति भरी रहती है और इसलिए हर चीज में राजनीतिक अर्थ निकालते रहते हैं। आप हिंदुस्तान के सभी प्रधानमंत्री के भाषण निकाल लीजिए, मेरे और अटल जी के भाषण में ही यह आया है कि हम यह नहीं कहते कि देश में कुछ नहीं हुआ। हम यही कहते हैं कि अब तक जितनी भी सरकारें आईं, सबने काम किया है। लेकिन तब चुनाव नहीं था, तो आपने रजिस्टर नहीं किया। मेरा ये मत है कि मैं कॉम्पिटिटिव को-ऑपरेटिव फेडरलिजम का पक्षकार हूं।
फेडरलिजम में राज्य सरकार का महत्व होता है, इसीलिए मैं कहता हूं कि केंद्र और राज्य के चुनाव एक साथ होने चाहिए। ये जो केंद्र और राज्य की लड़ाई कनवर्ट हो जाती है, वो नहीं होगी। चुनावी मजबूरी होती है। बोलना पड़ता है क्योंकि पीएम एक पॉलिटिकल पार्टी का वर्कर होता है। उसका बहुत नुकसान होता है। एक साथ चुनाव होने पर जो भी होगा, एक-दो महीने में हो जाएगा। राज्य वाले राज्य चलाएंगे। केरल में भी जितनी बातें ठीक हुईं, उसकी सार्वजनिक रूप से तारीफ की। शरद पवार की भी मैंने कई तारीफ की, लेकिन मैं उनकी राजनीति से सहमत नहीं हूं।
मायावती को लेकर आपने जो कहा?
मैंने मायावती के लिए कहा ही नहीं। मैने यूज करने की आदत वालों के लिए कहा है। इसमें बहुत फर्क है। कैसे ये खेल खेले जाते हैं, मेरा फोकस उस पर है। आप ईमानदारी से गठबंधन कीजिए ना। गठबंधन में खेल क्यों खेलते हैं, मेरा मुद्दा वो था, क्योंकि आप सुपर पॉलिटिक्स चलाते हैं और वंदे भारत स्पीड से दौड़ते हैं, इसलिए आप 10 कदम आगे चले जाते हो।
लुटियंस का सर्कल आपको क्या अब भी अपने खिलाफ ऐक्टिव लगता है?
देश में दिल्ली में जिन्हें आप लुटियंस कहते हैं, उनके लिए मोदी कोई पहला शिकार नहीं है। आंबेडकर के साथ इस टोली ने भी यही किया है। सरदार वल्लभ भाई पटेल के साथ भी यही किया है। मोरारजी देसाई की भी बस एक ही पहचान बना दी थी। देवेगौड़ा के साथ भी यही किया कि वे सोते रहते हैं। गुजराल के साथ भी यही किया कि वह तो इंडिया इंटरनैशनल सेंटर के प्राइम मिनिस्टर हैं। एक परिवार के सिवा बाकी सबको नीचा दिखाना इनका स्वभाव है, इनका अजेंडा है। मेरे बाद जो आएगा, यदि वह इस परिवार का न हुआ, तो उसे भी यही भुगतना है।
2014 में आप अच्छे बहुमत से जीते थे, लेकिन तब भी आपने अपने सहयोगी दलों को साथ रखा, उन्हें इग्नोर नहीं किया। अगर आप 2019 में भी उसी तरह से जीतते हैं, तो ऐसी संभावना देखेंगे कि दूसरी पार्टियों के भी और लोग आपके साथ जुड़ें?
नंबर एक, भारतीय जनता पार्टी 2014 से ज्यादा सीटों के साथ जीतेगी। दूसरा, एनडीए के हमारे साथी भी पहले से ज्यादा सीटों से जीतेंगे। तीसरा, भौगोलिक दृष्टि से भारत के अनेक नए क्षेत्रों में हमें सेवा करने का अवसर मिलेगा। चौथा, अगर सरकार बनती है, तो पूर्ण बहुमत से बनेगी, ये मेरा कन्विक्शन है। सरकार बहुमत से चलती है, लेकिन देश बहुमत के अहंकार से नहीं चलता। देश सहमति के भाव से चलता है। अगर किसी एक पार्टी का भी, कोई एक भी मेंबर एमपी हो, तो उस पार्टी को भी हमको साथ लेकर चलना चाहिए, क्योंकि हमें देश चलाना है और इसलिए सरकार चलाने और देश चलाने में बहुत फर्क है।