मुश्किल में मध्य प्रदेश के MBBS के छात्र, MCI में अटका रजिस्ट्रेशन
भोपाल
मध्य प्रदेश में MBBS 2014 बैच के छात्रों का भविष्य मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय की समबद्धता से जुड़ गया है. प्रदेशभर के करीब 12 मेडिकल कॉलेजों से इस साल मार्च में अपनी एमबीबीएस डिग्री पूरी कर चुके छात्रों का अब तक MCI में रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है. इसकी वजह ये है कि प्रदेश की एकमात्र मेडिकल यूनिवर्सिटी को अब तक MCI से संबद्ध नहीं किया गया है.
व्यापम महाघोटाले के कारण पहले ही बदनाम हो चुका प्रदेश का चिकित्सा शिक्षा जगत अब अपने ही कारनामों को लेकर फिर सुर्खियों में है. 2011 से तस्वीर में आए मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय में 2014 से कोर्स शुरू हुए. यहां MBBS सहित MDS कोर्सेस के लिए मध्यप्रदेश में यूनिवर्सिटी बना दी गई. मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय से प्रदेशभर के मेडिकल कॉलेज संबद्ध हैं. लेकिन इस यूनिवर्सिटी को अब तक MCI से मान्यता नहीं मिली है.
यूनिवर्सिटी से संबद्ध प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में 2019 में करीब 1400 छात्रों ने अपना MBBS पास किया. लेकिन क्योंकि यूनिवर्सिटी को मान्यता नहीं है इसलिए इन छात्रों का MCI ने अब तक डॉक्टर के तौर पर इनका रजिस्ट्रेशन नहीं किया है. सरल भाषा में समझें तो इन्हें डॉक्टरी पेशे का लाइसेंस नही मिल पाया है.
डिग्री लेने के बाद छात्रों से स्टेट मेडिकल काउंसिल एक बॉड भी भरवा रहा है. इसमें उनसे ऐसी कठिन शर्त हैं कि छात्र भी मुश्किल में पड़ गए हैं.
इस पूरे मामले में मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ आर एस शर्मा का कहना है ये एक विभागीय प्रक्रिया है जिसमें छात्रो को बिलकुल घबराने की ज़रूरत नहीं है. सरकार जल्द संबद्धता की प्रक्रिया पूरी करेगी. इसमें 4 से 5 महीने का वक्त लग सकता है.
मेडिकल यूनिवर्सिटी 2011 में बन गयी थी. 8 साल बाद भी उसे MCI से संबद्ध ना करना कई सवाल खड़े कर रहा है. संबद्धता में जितनी देर होगी, उतना ही वक्त इन नये डॉक्टरों का ख़राब होगा.