मुजफ्फरनगर: दंगा पीड़ितों का छलका दर्द,  शांति के लिए करेंगे मतदान

 
मुजफ्फरनगर 

लोकसभा चुनाव है तो राजनीतिक दलों की ओर से ढेरों वादे किए जा रहे हैं। इन वादों से दूर उत्तर प्रदेश में एक दुनिया और भी है। यह दुनिया है वर्ष 2013 में हुई मुजफ्फरनगर हिंसा के पीड़ित लोगों की, जो आज भी कैराना में बने रिफ्यूजी कैंपों में रहने को मजबूर हैं। 
 

रिफ्यूजी कैंप में कहने वाले एक शख्स का कहना है, 'हम पिछले 6 वर्षों से यहां रह रहे हैं। हमारे पास न तो अब तक घर हैं, न ही हमें बिजली या पानी मुहैया हो पाता है। हम चाहते हैं कि हमारे लिए घर तैयार किए जाएं। हम आगामी चुनाव में शांति के लिए मतदान करेंगे।' 

बता दें कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जाटलैंड नाम से यह क्षेत्र मशहूर है। मुजफ्फरनगर सीट पर वर्ष 2014 में बीजेपी ने कब्जा जमाया था। यहां से संजीव बालियान ने तकरीबन 60 फीसदी मत हासिल किए थे जबकि बीएसपी उम्मीदवार कादिर राणा को सिर्फ 22 प्रतिशत वोट ही मिले थे। इस सीट पर 11 अप्रैल को मतदान होना है।

मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से बीएसपी, एसपी और आरएलडी गठबंधन ने अजित सिंह को चुनावी मैदान में उतारा है तो बीजेपी ने एकबार फिर संजीव बालियान पर ही भरोसा जताया है। 
 

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