मिलावट करने वाले लोगों के फिर से हौंसले बुलंद, CM के आदेश पर पानी फेर रहा खाद्य एवं औषधि प्रशासन अमला
भोपाल
राजधानी में बीते कुछ दिनों से खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अफसरों ने नया फार्मूला ईजाद किया है। इस फार्मूले के तहत खाद्य सुरक्षा अधिकारी शिकायत के आधार पर खाद्य सामग्रियों के सैंपल लेकर जांच करेंगे। लेकिन जिस प्रतिष्ठान या फर्म पर छापा डाला गया है, उसका नाम नहीं बताएंगे। ऐसे में अफसरों की इस कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं। मिलावट के इस नए खेल में सबसे ज्यादा अफसर मजे मार रहे हैं। त्योहार के दिनों में अचानक कार्रवाई को धीमा करके शिकायत वाले स्थानों पर ही कार्रवाई करने का काम सीमित हो गया है। इससे त्योहार के समय में मिलावट करने वाले लोगों के फिर से हौंसले बुलंद होंगे।
खाद्य सुरक्षा अधिकारी राजधानी के मिलावटखोरों पर सिर्फ दिखावे की कार्रवाई कर रहे हैं। हालात ये हैं कि मिलावटखोरों को प्रदेश छोड़ने की चेतावनी देने वाले मुख्यमंत्री कमलनाथ और स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट की हिदायत के बाद भी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों का अमला मिलावट करने वालों को छूट देने के लिए नए-नए फार्मूले निकाल रहे हैं। राजधानी के कुछ समाजसेवियों ने अधिकारियों के इस फार्मूले का सवाल खड़े करके ये किसने निर्देश हैं, इसकी जानकारी तक मांगी है। लेकिन अफसरों ने इस मामले में चुप्पी साध ली है।
सूत्रों के अनुसार राजधानी में मावा व्यापारियों की नाराजगी और हड़ताल के पीछे कुछ खाद्य एवं औषधि प्रशासन के अफसरों का हाथ है। दरअसल अभी तक मिलावट करने वालों पर सेटिंग के आधार पर कार्रवाई होती थी, लेकिन सीएम और मंत्री के हस्तक्षेप के बाद अब पुलिस भी मिलावटखोरों पर सीधे कार्रवाई कर रही है। इससे अफसरों की दुकानें बिगड़ने लगी है। पुलिस मिलावट करने वालों को शंका के आधार पर रोकती है, फिर खाद्य सुरक्षा अधिकारियों को कार्रवाई के लिए बुलाती है। इसके बाद यदि सैंपल अनसेफ या गड़बड़ निकले, तो उन सीधे एफआईआर हो रही है। पहले ऐसा नहीं था, इस कारण मावा व्यापारी भी इस कार्रवाई के विरोध में खड़े हो गए हैं।
विभाग के अफसर शहर में गोपनीयता के नाम पर अपनी सेटिंग कर रहे हैं। शिकायत के आधार पर बीते दिनों न्यू मार्केट-रंगमहल में शहर के एक बड़े खाद्य स्टोर पर छापा मारा गया। प्लेटिनम प्लाजा में भी जिस खाद्य प्रतिष्ठान पर कार्रवाई की गई, वह भी शहर की नामचीन फर्म है। ऐसे में यदि 14 दिन बाद जांच रिपोर्ट फेल हो गई, तो अफसर सेटिंग के दम पर नामी प्रतिष्ठानों को बचाकर किसी और फर्म का नाम भी ले सकते हैं, क्योंकि यह तो जानकारी लीक ही नहीं हुई कि किस तारीख को कहां कार्रवाई हुई थी।