माया की गहरी चाल: एसपी के मुस्लिम वोट बैंक के लिए मायावती ने बिछाई बिसात!

 
लखनऊ

समाजवादी पार्टी से नाता तोड़ने के बाद अब बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) की सुप्रीमो मायावती की निगाहें एसपी के कोर वोट बैंक पर है। मायावती और अखिलेश यादव के बीच लोकसभा चुनाव के दौरान क्या बातें हुई, इस बारे में अब तक कुछ भी सार्वजनिक नहीं था। अब मायावती ने अखिलेश द्वारा मुस्लिमों को टिकट न दिए जाने की बात को सार्वजनिक कर पूरी राजनैतिक बिसात बिछा दी है। उन्होंने अमरोहा के सांसद दानिश अली को अपनी पार्टी की ओर से प्रदेश के मुस्लिमों का बड़ा चेहरा बनाते हुए इस समुदाय को जोड़ने के लिए खड़ा कर दिया है। 
 
दानिश अली को जिम्मेदारी दी गई है कि वह मुस्लिम समाज को बीएसपी की नीतियों के बारे में बताएं और उन्हें अपने आंदोलन से जोड़कर उनकी लड़ाई भी लड़ें। मायावती ने अपनी चुनावी रणनीति को आगे बढ़ाते हुए मुस्लिमों के अलावा ब्राह्मणों को भी जोड़ने की रणनीति बनाई है। इसके लिए सतीश चंद्र मिश्रा की अगुआई में पूरी टीम गठित की गई है। सतीश चंद्र मिश्रा ने 2007 में सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्म्युले से बीएसपी को सत्ता दिलवाई थी। मायावती ने इसका जिक्र करते हुए बैठक में कहा कि जल्द ब्राह्मणों को अपनी पार्टी में जोड़ने का अभियान चलाया जाएगा। 

बीएसपी के लिए सबसे मुफीद वक्त 
बीएसपी को इस वक्त मुस्लिमों की अगुआई करने के लिए सबसे मुफीद वक्त लग रहा है, क्योंकि एसपी का कोर वोट होने के बाद भी उसका मुस्लिम जनाधार खिसक रहा है। एसपी के वोट प्रतिशत में गिरावट को बीएसपी माइलेज के तौर पर देख रही है। इसको लेकर ही पूरी राजनीतिक बिसात बिछाई जा रही है। सूत्रों के मुताबिक, मायावती ने रविवार को हुई राष्ट्रीय बैठक में इस मुद्दे को न सिर्फ प्रभावी ढंग से उठाया, बल्कि जिम्मेदारियां भी तय कर दीं। 

बीएसपी में नसीमुद्दीन के बाद कोई बड़ा मुस्लिम चेहरा नहीं था। ऐसे में पार्टी को अमरोहा के सांसद दानिश अली सबसे मुफीद नजर आए। वैसे, मायावती ने एसपी, बीएसपी और रालोद गठबंधन की देवबंद में आयोजित पहली सार्वजनिक रैली में ही मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने की कवायद शुरू कर दी थी, जिसका परिणाम भी उनके पक्ष में आया। 
 

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