मानसून में बढ़ जाती है ईएनटी समस्याएं, जानें बचाव और इलाज

बैक्‍टीरिया की वजह से बैक्‍टीरियल संक्रमण और धूल के कणों की वजह से फंगल संक्रमण एवं मौसमी एलर्जी हो सकती है। इसके अलावा हवा में मौजूद कई प्रदूषकों के कारण भी मौसमी एलर्जी हो सकती है। ठंडे तापमान में वायरस तेजी से बढ़ता है जिसकी वजह से मानसून में वायरल संक्रमण ज्‍यादा होता है।

मानसून में ईएनटी या‍नी कान, आंख और गले से संबंधित बीमारियों में एलर्जिक राइनाइटिस और साइनोसाइटिस सबसे आम है। इन स्थितियों में बहती नाक, मुंह में छाले, सिरदर्द और कभी-कभी बुखार रहता है। इसके अलावा इस मौसम में कान और नाक में फंगल संक्रमण भी बहुत होता है।

मानसून में ईएनटी समस्‍याओं से कैसे बचें
बैक्‍टीरियल संक्रमण, फफूंदी आदि आसपास के वातावरण में मौजूद होते हैं और निम्‍न तरीकों से इन्‍हें कम किया जा सकता है:
साफ-सफाई का ध्‍यान रखना
धूल-मिट्टी वाली जगहों को बार-बार साफ करना

घर को साफ रखना
सभी कपड़ों, कारपेट और खिलौनों को वैक्‍यूम से साफ करना
पंखों और एयर कंडीशनर के फिल्‍टर्स की नियमित सफाई
जूतों और गीली चीजों को घर से बाहर या खिड़की के पास रखें
गीले कपड़े पहनने से बचें

कैसे बचें
ड्रायर से कपड़ों को सुखाकर रखें।
घर की गीली दीवारों और जगहों पर फफूंदी आदि पनपने ना दें।
ऐसे लोगों से दूर रहें जिन्‍हें जुकाम या गले में खराश हो।
सिगरेट के धुएं, एयर फ्रेशनर, स्‍प्रे और गले में दिक्‍कत पैदा करने वाली अन्‍य चीजों से दूर रहें।
कानों को सुखाकर रखें, खासतौर पर नहाने के बाद। कान में फफूंदी और बैक्‍टीरिया से संक्रमण हो सकता है।
मॉनसून में ईयर बड्स का इस्‍तेमाल ना करें क्‍योंकि इसकी वजह से कान में बैक्‍टीरिया और फफूंदी हो सकती है।
कान में तेल या अन्‍य ऑर्गेनिक लिक्विड ना डालें क्‍योंकि इनसे संक्रमण पैदा हो सकता है।
किसी अच्‍छे एंटीबैक्‍टीरियल साबुन से हाथों को अच्‍छी तरह से धोने के बाद ही खाना खाएं।
मानसून के दौरान तैराकी से बचना चाहिए। तैराकी के बाद कानों को जरूर सुखाएं।
डाइट और व्‍यायाम से इम्‍युनिटी बढ़ाएं।

खूब पानी और तरल पदार्थ पीएं जैसे कि चाय, कॉफी या सूप। इससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है। ताजी सब्जियों और फलों को अच्‍छी तरह से धोने के बाद खाएं। योगर्ट, ओट्स और जौ, लहसुन, चाय, चिकन सूप, शकरकंद, लौंग, अदरक, काली मिर्च, शिमला मिर्च, ब्रोकली, पालक, बादाम, हल्‍दी और ग्रीन टी से इम्‍युनिटी बढ़ती है। 15 मिनट ब्रिस्‍क वॉक या एरोबिक्‍स करने से भी इम्‍युनिटी बढ़ती है। संभव हो तो थोड़ी धूप भी लें। पर्याप्‍त नींद लें और योग एवं ध्‍यान से तनाव को नियंत्रित रखें।

संक्रमण का सही से इलाज
डायबिटीज या कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी लेने वाले मरीजों और बच्‍चों एवं ट्रांस्‍प्‍लांट करवाने वाले लोगों को संक्रमण आसानी से हो जाता है। साइनोसाइटिस, कान से डिस्‍चार्ज, गले में खराश होने पर जितना जल्‍दी हो सके दवाई से ठीक कर लें।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *