ऐंटीबायॉटिक्स से बढ़ सकता है रेक्टल कैंसर का खतरा

सर्दी-खांसी, बुखार या फिर किसी छोटी-मोटी बीमारी के लिए भी अगर आप ऐलोपैथिक डॉक्टर के पास जाते हैं तो डॉक्टर सबसे पहले 3 या 5 दिन की ऐंटीबायॉटिक दवा का कोर्स लिख देते हैं ताकि मरीज जल्दी ठीक हो जाए। कई बात तो बिना डॉक्टर से पूछे भी बहुत से लोग बीमार होने पर ऐंटीबायॉटिक खा लेते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सावधान हो जाइए क्योंकि इससे कोलोन या रेक्टल कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।

ऐंटीबायॉटिक्स का हो रहा है ज्यादा इस्तेमाल
एक नई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि सिंगल कोर्स ऐंटीबायॉटिक के सेवन से भी कोलोन यानी मलाशय का कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। Gut नाम के जर्नल में प्रकाशित इस स्टडी में इस बात पर जोर दिया गया है कि कैसे ऐंटीबायॉटिक- दवा की इस कैटिगरी का समझदारी से इस्तेमाल करने की जरूरत है क्योंकि डॉक्टर्स भी इसे जरूरत से ज्यादा प्रिस्क्राइब कर रहे हैं और इसका बहुत ज्यादा यूज हो रहा है।

साइड इफेक्ट की वजह से क्रॉनिक बीमारियों का खतरा
इस स्टडी की लीड ऑथर सिंथिया सियर्स कहती हैं, हमारी रिसर्च इस बात पर जोर देती है कि इस तरह की दवाइयों का शरीर पर कितना बुरा असर होता है और इनसे कई तरह की क्रॉनिक बीमारियां भी हो सकती हैं। इस स्टडी में यूके के 1 करोड़ 10 लाख मरीजों के डेटा की जांच की गई जिसमें जनवरी 1989 से दिसंबर 2012 यानी 23 साल के पीरियड की जांच हुई। इसमें करीब 28 हजार 890 मरीजों को कोलोरेक्टल कैंसर होने की बात सामने आयी।

ऐंटीबायॉटिक एक्सपोजर से मलाशय के कैंसर का खतरा
इन मेडिकल रिकॉर्ड्स का इस्तेमाल हर एक केस हिस्ट्री की जांच करने के लिए किया गया जिसमें कोलोन कैंसर के रिस्क फैक्टर्स जैसे- मोटापे का इतिहास, धूम्रपान, ऐल्कॉहॉल का सेवन, डायबीटीज और ऐंटीबायॉटिक के यूज पर भी ध्यान दिया गया। शोधकर्ताओं ने पाया कि जिन लोगों को कोलोन कैंसर हुआ वे ऐंटीबायॉटिक्स के प्रति ज्यादा एक्सपोज्ड थे।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *