मां ने दुधमुंहे बच्चे को ट्रॉमा सेंटर की चौथी मंजिल से फेंककर मार डाला

लखनऊ
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के ट्रॉमा सेंटर में इलाज के बाद भी हालत न सुधरने से हताश एक मां ने मंगलवार को अपने तीन महीने के दुधमुंहे बच्चे की जान ले ली। उसने अपने जिगर के टुकड़े को ट्रॉमा सेंटर की चौथी मंजिल पर एनआईसीयू की खिड़की से नीचे फेंक दिया। फिर बेटा चोरी होने का शोर मचा दिया, लेकिन पुलिस की पूछताछ में सच बयां कर दिया। इस मामले में चौक पुलिस ने महिला के पति, देवर और ट्रॉमा सेंटर प्रशासन की तहरीर पर उसके खिलाफ हत्या समेत कई धाराओं में केस दर्ज किया है।
कुशीनगर स्थित कसया के धुरैया गांव निवासी राजन सिंह की शादी साल 2013 में शांति देवी से हुई थी। वह मजदूरी कर परिवार का खर्च उठाते हैं। राजन के मुताबिक, 23 अप्रैल को गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में शांति ने प्री-मेच्योर बेटे को जन्म दिया। उसका वजन करीब एक किलो था। कुछ दिन बाद उसे पीलिया हो गया, फिर मस्तिष्क में संक्रमण।

बीआरडी के डॉक्टरों ने 25 मई को उसे ट्रॉमा सेंटर रिफर कर दिया। ऐसे में राजन ने उसे 26 मई को ट्रॉमा सेंटर की एनआईसीयू में भर्ती करवाया। कुछ दिन पहले डॉक्टरों ने उसे एनआईसीयू में ही कंगारू मदर केयर (केएमसी) में शिफ्ट कर दिया था। शांति बेटे के पास रहती थी, जबकि पति राजन सिंह और देवर अमरनाथ ट्रॉमा सेंटर के बाहर सोते थे।

जानकारी के मुताबिक, शांति ने मंगलवार सुबह करीब 5:15 बजे बेटा चोरी होने का शोर मचाया। शोर सुनकर गार्ड ने ट्रॉमा सेंटर प्रशासन को सूचना दी। इस बीच पुलिस भी पहुंच गई और ट्रॉमा सेंटर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की। फुटेज में एनआईसीयू में कोई आता-जाता नहीं दिखा। वॉर्ड के गलियारों में सिर्फ शांति आती-जाती दिखी।

बेटे की हालत न सुधरने से टूट गई
शक होने पर पति राजन और देवर अमरनाथ ने शांति से अकेले में बात की। वह कुछ देर बेटा चोरी होने की बात कहती रही, लेकिन बाद में बताया कि बेटे की हालत न सुधरने से वह इतना टूट गई थी कि उसे एनआईसीयू की खिड़की से नीचे फेंक दिया। यह सुनकर उसके पति और देवर के होश उड़ गए। इसके बाद सभी दौड़ते-भागते नीचे पहुंचे तो वहां बच्चे का क्षत विक्षत शव पड़ा था।

इंस्पेक्टर चौक राजन सिंह का कहना है, 'महिला के पति राजन सिंह व देवर अमरनाथ सिंह और ट्रॉमा सेंटर प्रशासन ने तहरीर दी है। इस आधार पर शांति देवी के खिलाफ हत्या समेत कई धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है।'

फेंकने से पहले कलेजे से लगाकर दुलारती रही शांति
बेटे को ट्रॉमा सेंटर की चौथी मंजिल से फेंकने से पहले शांति देवी उसे कलेजे से लगाकर काफी देर तक दुलारती रही थी। कंगारू मदर केयर वॉर्ड में मौजूद महिलाओं ने डॉक्टरों को बताया कि वह बच्चे को मजबूती से जकड़े थी। उसे बार-बार चूम रही थी। यह देख कोई कल्पना भी न कर सकता था कि वह ऐसा कुछ कर देगी।

कंगारू मदर केयर वॉर्ड में शांति के ठीक बगल में लेटी महिला ने बताया कि वह सुबह करीब 4 बजे उठी। तब शांति जग रही थी। दोनों में कुछ देर बात भी हुई। उस वक्त शांति बार-बार कह रही थी कि आप सो जाइए। आखिर पांच बजे उसे नींद आ गई।

सीसीटीवी फुटेज में भी शांति के हावभाव देख कर लग रहा था कि मानो उसके दिमाग में कुछ चल रहा था। वह 15 मिनट तक गलियारों में टहलती रही। पुलिस के मुताबिक, शायद वह लोगों के सोने का इंतजार कर रही थी। सभी के सोने के बाद उसने बेटे को फेंक दिया।

पता नहीं, मुझे क्या हो गया था
आरोपी मां शांति का कहना है, 'साहब, बेटा ठीक नहीं हो रहा था। उसका वजन भी नहीं बढ़ रहा था। उसका भविष्य पता नहीं क्या होता? पता नहीं, मुझे क्या हो गया था?' इतना कहने के बाद शांति के आंसू छलक पड़े। वह अधिक बात नहीं कर पा रही थी। ऐसा लग रहा था कि उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा है। उसने पुलिस को बताया कि वह काफी परेशान है। तीन बार उसका मिस कैरेज हो गया चुका था। चौथी बार में बेटा हुआ, लेकिन उसकी बीमारी सही नहीं हो रही थी।

पूरा परिवार उठा रहा था खर्च
पुलिस के मुताबिक, शांति ने बीए द्वितीय वर्ष तक की पढ़ाई की है। पूछताछ में उसने बताया कि उसके जेठ और देवर मुंबई में रह कर नौकरी करते हैं। पति मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाता है। ससुर डेयरी चलाते हैं। पूरा परिवार मिल कर बच्चे के इलाज का खर्च उठा रहा था।

ट्रॉमा सेंटर की सुरक्षा पर उठे सवाल
बच्चे को छत से फेंकने की घटना ने केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। पांच मंजिला इमारत की खिड़कियों में कोई जाली नहीं लगी हैं। ऐसे में खुली खिड़कियों से कभी भी हादसा हो सकता है। इस हारे में पूछने पर ट्रॉमा के प्रवक्ता डॉ. संदीप तिवारी ने कहा कि इससे पहले ट्रॉमा में कोई हादसा नहीं हुआ। यह आपराधिक घटना है, जिसकी किसी को उम्मीद भी नहीं थी। फिलहाल हर फ्लोर पर गार्ड तैनाती हैं, जो संदिग्धों से तुरंत पूछताछ करते हैं।

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