महिलाओं का वजन इन हार्मोन्‍स के कारण बढ़ता है

वजन कम करने के लिए जितना जरूरी आपका खान-पान है, उतना ही जरूरी आपके हार्मोन्स का संतुलित होना भी अहम माना जाता है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि मोटापा बढ़ने के पीछे हार्मोन्स जिम्‍मेदार होते हैं। हार्मोन्स के लेवल में उतार-चढाव मोटापे की समस्‍या बन कर सामने आते हैं। महिलाओं को अपने जीवन की अनेक स्‍टेज में हार्मोनल इंबैलेंस का सामना करना पड़ता है। PMS, प्रेग्‍नेंसी, मेनोपॉज और डिप्रेशन आदि की वजह से शरीर के मेटाबॉलिज्‍म पर सीधा पड़ता है जिसकी वजह से वजन बढ़ने लगता है। मोटापा घटाने के लिए आप चाहे जितनी डायटिंग या एक्‍सरसाइज कर लें, मगर जब तक आप अपने हार्मोन्स को संतुलित नहीं करेंगी तब तक आपको रिजल्‍ट्स नहीं मिलेंगे। आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से हार्मोन्स हैं जो वजन को प्रभावित करते हैं…

इंसुलिन
इंसुलिन आपके शरीर की कोशिकाओं में ग्लूकोज ले जाने में मदद करता है जिसे एनर्जी के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। रक्‍त में अगर इंसुलिन का स्‍तन बढ़ने लगे तो वजन बढ़ने और टाइप 2 डायबिटीज की समस्‍या पैदा होने लगती है। इसे कंट्रोल करने के लिए चीनी, शराब और अनहेल्‍दी चीजों को खाने से बचना चाहिए।

थायराइड
थायरॉइड ग्रंथि तीन हार्मोन का उत्पादन करती है: टी 3, टी 4 और कैल्सीटोनिन। इसके अलावा यह हमारे शरीर क मेटाबॉलिज्‍म, नींद, हार्ट रेट, ग्रोथ और ब्रेन को डेवलेप करने का कार्य भी नियंत्रित करता है। कभी-कभी थायराइड इन हार्मोन की सही मात्रा का उत्पादन नहीं करता है और इससे हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। हाइपोथायरायड कब्ज, थकान, अवसाद और अन्य लक्षणों से जुड़ा होता है। हालांकि, यह शरीर का वजन भी बढ़ाता है क्योंकि हार्मोन की कमी के कारण आपका मेटाबॉलिज्‍म धीमा हो जाता है।

कोर्टिसोल
कोर्टिसोल एक स्टेरॉयड हार्मोन है जो मुख्य रूप से तब सिक्रीट होता है जब हम स्‍ट्रेस, डिप्रेशन, गुस्‍से या शारीरिक रूप से घायल होते हैं। इसका लेवल बढ़ने से बार बार भूख लगती है जिसकी वजह से वजन बढ़ता है। आप तनाव को पूरी तरह से समाप्त नहीं कर सकतीं, लेकिन इसे योग, ध्‍यान और व्‍यायाम के जरिए कंट्रोल किया जा सकता है।

प्रोजेस्टेरोन
अगर शरीर को सही ढंग से काम करना है तो प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजन का संतुलन सही होना चाहिए। मेनोपॉज, स्‍ट्रेस, एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन या फिर अनहेल्‍दी फूड के कारण प्रोजेस्टेरोन के लेवल में गिरावट देखने को मिल सकती है। ऐसा होने से वजन तो बढ़ता ही है साथ ही डिप्रेशन भी होने लगता है।

टेस्टोस्टेरोन
पुरुषों की तुलना में महिलाएं टेस्टोस्टेरोन का उत्पादन थोड़ा कम मात्रा में करती हैं। यह फैट को जलाने में मदद करता है, मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत करता है और कामेच्छा बढ़ाता है। महिलाओं में अंडाशय इस हार्मोन का उत्पादन करते हैं, लेकिन उम्र और तनाव बढ़ने की वजह से इस हार्मोन का लेवल कम हो सकता है, और ऐसा होने पर शरीर का मोटापा बढ़ने लगता है।

एस्ट्रोजन
अगर आपके शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर बहुत अधिक या बहुत कम है तो इसकी वजह से भी वजन बढ़ने लगता है। शरीर में एस्ट्रोजन का उच्च स्तर आपके शरीर में इंसुलिन का उत्पादन करने वाली कोशिकाओं को प्रभावित कर सकता है। जिससे आपका इंसुलिन रसिस्‍टेंस और ब्‍लड शुगर लेवल बढ़ जाता है और वजन बढ़ने लगता है।

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