महाकाल और खजराना गणेश मंदिर में मिलेगा हाईजीनिक भोग

इंदौर
 तमिलनाडु के मीनाक्षी और गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर शहर के प्राचीन खजराना गणेश मंदिर को भोग अब शुद्धता के मापदंडों भी खरा होगा। प्रशासन ने शुद्ध भोग स्थान मानक सर्टिफिकेट दिलाए जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए मंदिर प्रशासन ने एफएसएसएआई में अप्लाय भी किया जा चुका है। जहां इसे स्वीकार किया गया है, अब टीम आकर यहां मानकों की जांच करेगी, उसके बाद सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। इसी तरह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर भोग को भी प्रमाण पत्र किया जा रहा है।

गौरतलब है २०१८ में भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण नई दिल्ली द्वारा सेफ भोग प्लेस योजना शुरु की गई। जिसके ततहत देश के प्रमुख मंदिर, गुरुद्वारा व इनकी भोजनशालाएं प्रोजेक्ट किया जाना है। इसकी शुरूआत में तमिलनाडु के मीनाक्षी मंदिर और गुजरात के सोमनाथ को शामिल किया गया। यहां कैसे हाईजेनिक प्रसाद बनाया जाता है यह सिखाया गया। मप्र में उज्जैन के महाकाल मंदिर को भी शामिल किए जाने की प्रकिया अंतिम चरण में है। उज्जैन में ट्रेनिंग तक दी जा चुकी है। इसी सप्ताह महाकाल को सर्टिफिकेट मिलने की संभावना जताई जा रही है।

गणपति को चढऩे वाले प्रसाद की शुद्धता की होगी गारंटी-

इस योजना में खजराना गणेश मंदिर शामिल हो जाता है तो मंदिर में चढऩे वाले प्रसाद पूरी तहर से हाईजेनिक होगा। शुद्धता की पूरी गारंटी होगी। भोग बनाने वालों को ट्रेनिंग तक दी जाएगी। वैसे अभी भी खजराना मंदिर में अन्न क्षेत्र में बनने वाला भोजन और भगवान को चढ़ाए जाने वाला भोग एफएसएसएआई के मानकों के अनुसार ही तैयार होता है।

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