मनरेगा में रजिस्ट्रेशन कराने वाले युवाओं की संख्या घटी, सरकार का दावा

 नई दिल्ली
महात्मा गांधी नेशनल रूरल एंप्लॉयमेंट गारंटी स्कीम में (मनरेगा) के तहत रजिस्ट्रेशन कराने वाले 18-30 साल के युवाओं की संख्या 2015-16 से ही कम हो रही है। लोकसभा में पूछे एक सवाल के लिखित जवाब में मंगलवार को ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मैनेजमेंट इंफॉर्मेशन सिस्टम (MIS) के मुताबिक 2018-19 में कुल 7.77 करोड़ लोगों ने मनरेगा के तहत रजिस्ट्रेशन कराया था। इनमें 70.74 लाख या 9.10 पर्सेंट 18-30 आयु वर्ग के थे। 2015-16 में इस योजना के तहत 722.59 लाख लोगों का रजिस्ट्रेशन हुआ था, जिसमें 18-30 आयु वर्ग के लोगों की संख्या 72.74 लाख या 10.07 पर्सेंट थी।

वित्त वर्ष 2017-18 में मनरेगा के लिए कुल 759.15 लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिनमें से 58.7 लाख यानी 7.73 पर्सेंट युवा थे। इसके मुकाबले पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले युवाओं की संख्या अधिक थी। वहीं, अगर कुल वर्कफोर्स के मुकाबले इनका अनुपात देखा जाए तो यह 2016-17 के 9.10 पर्सेंट के बराबर है। 2016-17 में मनरेगा के तहत कुल 7.66 करोड़ लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराया था, जिसमें से 9.10% यानी 69.78 लाख की उम्र 18 से 30 साल के बीच थी।

मनरेगा मांग आधारित रोजगार कार्यक्रम है। यह ग्रामीण परिवारों को रोजगार के बेहतर मौके न होने की स्थिति में रोजी-रोटी की सुरक्षा देता है। योजना में कम से कम 100 दिनों के रोजगार की गारंटी मिलती है। हालांकि, मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फार्मर वेलफेयर की सिफारिश पर प्राकृतिक आपदा प्रभावित इलाकों में और 50 दिनों का काम मुहैया कराने का प्रावधान है। एक और सवाल के जवाब में तोमर ने बताया कि अभी तक 84 महिला किसान सशक्तिकरण परियोजनाओं (MKSP) को मंजूरी दी गई है। ये 24 राज्यों में लागू होंगी, जिसमें 33.81 लाख महिला किसानों को शामिल करने का लक्ष्य है। 30 सितंबर 2019 तक इन परियोजनाओं में देश के 30,900 गांवों में 36.06 लाख महिला किसानों को शामिल किया गया था। इस कार्यक्रम के लिए अभी तक 847.48 करोड़ रुपये की मंजूरी मिली है, जिसमें से 579.76 करोड़ रुपये आवंटित किए जा चुके हैं।
 

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