मध्य प्रदेश सियासी संकट पर शिवराज सिंह बोले- हम सरकार गिराने में इच्छुक नहीं

 भोपाल 
मध्य प्रदेश में हाईवोल्टेज सियासी ड्रामा देर रात भी जारी रहा। मुख्यमंत्री कमलनाथ के घर हुई बैठक में ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के मंत्रियों को छोड़ सभी ने इस्तीफा दे दिया। इस्तीफे के बाद कमलनाथ से नया मंत्रिमंडल बनाने के लिए कहा गया है। आज (मंगलवार) शाम कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई है। इस पूरे प्रकरण पर एमपी के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का बयान सामने आया है।

पूर्व सीएम ने इसे कांग्रेस का अंदरूनी मामला बताते हुए कहा कि हमल पहले ही दिन से कह रहे हैं कि बीजेपी सरकार गिराने की इच्छुक नहीं है।
 
समाचार एजेंसी पीटीआई ने सूत्रों के हवाले से बताया कि कमलनाथ को दोबारा कैबिनेट का गठन करने और जरूरत के मुताबिक मंत्रियों को चुनने की आजादी दी गई है। कमलनाथ गुट के विधायकों ने दावा किया है कि बेंगलुरु गए विधायक पार्टी में वापस आ सकते हैं। 

कुछ विधायकों के फोन बंद:
इससे पहले कमलनाथ सरकार के 15 से 20 बागी विधायकों के बेंगलुरु पहुंचने की खबर आई थी। इनमें कई मंत्री भी शामिल हैं। सभी विधायकों के फोन बंद आ रहे हैं। ये तमाम ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के बताए जा रहे हैं। 

भाजपा सक्रिय
कांग्रेस में बगावत के संकेत देखते हुए भाजपा विधानसभा सत्र की शुरुआत में कमलनाथ सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ला सकती है। भाजपा ने मंगलवार को विधायक दल की बैठक भी बुलाई है। राज्य भाजपा के प्रवक्ता रजनीश अग्रवाल ने कहा, वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ व्यवहार और वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह के हस्तक्षेप के कारण कांग्रेस आज यह स्थिति देख रही है। भाजपा का इससे कोई लेना देना नहीं है। 

विधानसभा का समीकरण 
मध्य प्रदेश में 230 विधानसभा सीट हैं। दो विधायकों का निधन हो चुका है। कांग्रेस के पास 114 विधायक हैं। सरकार के लिए जरूरी आंकड़ा 115 है। कांग्रेस को चार निर्दलीय, 2 बसपा और एक सपा विधायक का समर्थन है। उसके पास कुल 121 जबकि भाजपा के पास 107 विधायक हैं। 

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