मध्य प्रदेश: तीन बार CM रह चुके हैं शिवराज, चौथी बार भी मिलेगी जिम्मेदारी!

भोपाल
मध्य प्रदेश में बीजेपी (BJP) मुख्यमंत्री किसे बनाएगी, इसे बारे में पार्टी के भीतर कवायद काफी तेज हो गई है. सूबे के सीएम की कुर्सी (Cheif Minister Chair) ) में कुछ नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं. इनमें से सबसे अगली कतार में शिवराज सिंह चौहान(Shivraj Singh Chauhan) , नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra Singh Tomar) और नरोत्तम मिश्रा (Narottam Mishra) का नाम है. हालांकि इनमें शिवराज सिंह चौहान की लोकप्रियता और सूबे का तीन बार मुख्यमंत्री होना, उन्हें दौड़ में सबसे आगे बनाए रख सकता है. शिवराज की लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जनता उन्हें प्यार से मामा कहकर पुकारती है. वर्ष 2018 में हुए विधाानसभा में बीजेपी ने शिवराज के नेतृत्व में ही चुनाव लड़ा था. पार्टी हार गई थी, पर वोट का प्रतिशत और सीट की संख्या बहुत ज्यादा कम नहीं हुई थी. कमलनाथ सरकार के सिर्फ 15 महीने में गिर जाने के बाद राज्य को एक सर्वाधिक नेतृत्व की दरकार होगी क्योंकि आगे 22 सीटों पर उपचुनाव होने हैं. ऐसे में सूबके में शिवराज सिंह चौहान से बड़ा चेहरा पार्टी के पास कोई दूसरा नहीं है.

2005 से लेकर 2018 तक रहे मुख्यमंत्री
शिवराज सिंह चौहान पहली बार 29 नवंबर 2005 को बाबूलाल गौर के स्थान पर राज्य के मुख्यमंत्री बने थे. शिवराज चौहान बीजेपी मध्य प्रदेश के महासचिव और अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वे विदिशा संसदीय क्षेत्र से पांच बार लोकसभा का चुनाव भी जीत चुके हैं. उन्होंने पहली बार विदिशा लोकसभा सीट का चुनाव 1991 में जीता था. वे वर्तमान समय में सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

किसान के घर पैदा हुए हैं शिवराज
शिवराज एक किसान परिवार से नाता रखते हैं. उन्होंने प्रदेश को एक ऐसे राज्य के रूप में स्थापित किया जिसने कृषि और रोडवेज में सराहनीय प्रगति की है. शिवराज का जन्म 5 मार्च 1959 में सिहोर जिले के जैत गांव में किराड़ राजपूत परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम प्रेम सिंह चौहान और माता का नाम सुंदर बाई चौहान है. शिवराज ने 1992 में साधना सिंह से शादी की. उनके दो बेटे हैं- कार्तिकेय सिंह चौहान और कुणाल सिंह चौहान.

पढ़ाई के साथ राजनीति में भी अव्वल रहे
शिवराज सिंह पढ़ाई में भी अव्वल रहे हैं. उन्होंने भोपाल के बरकतुल्ला विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में गोल्ड मेडल हासिल किया था. वे छात्र जीवन से ही राजनीति से जुड़ेरहे हैं. वर्ष 1975 में वे मॉडल हायर सेकंडरी स्कूल की स्टूडेंट्‍स यूनियन के अध्यक्ष चुने गए थे. वे इंदिरा गांधी के शासनकाल में लगाए गए आपातकाल के दौरान जेल भी गए. वे वर्ष 1977 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) से जुड़े और सक्रियता के साथ संगठन को बढ़ाने का काम किया. वे सिर्फ 13 वर्ष की उम्र में आरएसएस से जुड़ गए थे. वे अखिल भारतीय विद्या​र्थी परिषद से लंबे समय तक जुड़े रहे. वे पहली बार 1990 में सीहोर जिले की बुधनी विधानसभा सीट से विधायक चुने गए. वे पांच बार लोकसभा सांसद रहे हैं और लोकसभा की कई समितियों में भी रहे. चौहान 2000 से 2003 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय सचिव भी रहे.

दिग्विजय सिंह से चुनाव हार गए थे शिवराज
वर्ष 2003 में भाजपा ने विधानसभा चुनावों में जोरदार जीत हासिल की थी लेकिन शिवराज चुनाव हार गए. शिवराज ने मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ा था. 29 नवंबर 2005 को उन्हें राज्य की बागडोर सौंपी गई. उन्हें मुख्यमंत्री बनने के बाद पार्टी ने बुधनी विधानसभा का उपचुनाव लड़ाया. वे 41 हजार से ज्यादा मतों से जीते.

2008 में दूसरी और 2013 में तीसरी बार बने सीएम
12 दिसंबर 2008 में वे दोबारा मुख्यमंत्री बनाए गए. इन्होंने महिलाओं के लिए लाडली लक्ष्मी योजना, कन्याधन योजना, जननी सुरक्षा योजना चलाई. छात्र-छात्राओं के लिए मेधावी विद्यार्थी योजना और मेधावी छात्र योजना शुरू की.

संगीत में है गहरी रुचि
पेशे से एक किसान चौहान की संगीत में ‍गहरी रुचि है. उन्हें घूमना, गानें सुनना और फिल्में देखना बहुत पसंद हैं. उन्हें बॉलीवॉल, कबड्डी और क्रिकेट पसंद है.

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