मध्यप्रदेश के मंदिरों में खाद्य विभाग ने शुरू किया ‘प्रोजेक्ट भोग’, अब मिलेगा शुद्ध प्रसाद

ग्वालियर 
मध्यप्रदेश में मंदिरों के बाहर बिकने वाली अमानक प्रसादी और भोजन सामग्री की गुणवत्ता सुधारने के लिए प्रशासन ने कवायद शुरू कर दी है. प्रदेश के सभी प्रसिद्ध मंदिरों और धार्मिक स्थलों पर मिलने वाली प्रसादी, भोजन को अब प्रोजेक्ट भोग के दायरे में लिया जाएगा. फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड अथॉरिटी के प्रोजेक्ट भोग के तहत धार्मिक स्थलों पर गुणवत्तायुक्त और शुद्ध प्रसादी दी जाएगी. ग्वालियर मे भी प्रशासन ने प्रमुख मंदिर और धार्मिक स्थलों पर भोजन-प्रसादी की क्वालिटी को लेकर प्रोजक्ट भोग की कवायद शुरू कर दी है. मंदिर प्रबंधन और श्रद्धालु भी प्रशासन की इस पहल से खुश नजर आ रहे हैं.

मध्यप्रदेश के ज्यादातर मंदिरों के बाहर गुणवत्ताहीन प्रसादी और भोग सामग्री बिक रही है. एक सर्वे के मुताबिक मंदिरों के ट्रस्ट की प्रसादी और भोग को छोड़ दें तो मंदिर के बाहर निजी दुकानों पर बिकने वाली प्रसादी मिलावटी पाई जाती है. इस प्रसादी के सेवन से श्रद्धालुओं के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है. लिहाजा इन हालात को देखते हुए भोपाल में हुए फूड एंड सेफ्टी ऑफिसर्स के रिफ्रेशमेंट कोर्स के तहत प्रोजेक्ट भोग शुरू करने का फैसला लिया गया. अभी तक देश के प्रसिद्ध मंदिरों में इस प्रोजेक्ट को चलाया जा रहा था, लेकिन अब मध्यप्रदेश के सभी जिलों में इस प्रोजेक्ट को शुरू किया जाएगा.

फूड सेफ्टी ऑफिसर रवि शिवहरे ने बताया कि प्रोजेक्ट भोग के तहत धार्मिक स्थल, जहां श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा रहती है और लंगर-भंडारे के बड़े आयोजन होते हैं वहां क्वालिटी मेंटेन करने के लिए शुरू किया जा रहा है. इसके साथ-साथ जिन धर्मस्थलों में भोजन प्रसादी तैयार की जाती है उन्हें भी इस प्रोजेक्ट के तहत लाया गया है. इसके तहत सुरक्षा मानकों का पालन करने वाले धार्मिक स्थलों को फूड सेफ्टी से प्रमाण पत्र भी दिया जाएगा. ग्वालियर जिले के प्रमुख मंदिर अचलेश्वर, खेड़ापति हनुमान मंदिर, साईंबाबा मंदिर, बालाजी मंदिर, गरगज के हनुमान, मोटे गणेश मंदिर, कोटेश्वर मंदिर, जीणमाता मंदिर, शनिदेव मंदिर, नवग्रह मंदिर जैसे प्रमुख स्थलों को इस प्रोजेक्ट में शामिल किया गया है.

ग्वालियर के दस बड़े मंदिरों पर हर रोज कुल पचास हजार से ज्यादा श्रद्धलु दर्शन के लिए आते हैं. वहीं सप्ताह के प्रमुख दिन या त्योहार पर मंदिरों में भक्तों का आंकड़ा एक लाख के पास तक रहता है. इसके अलावा शहर के अन्य मंदिरों में कुल 20 हजार किलो प्रसादी और करीब 25 हजार किलो भोग चढ़ाया जाता है. मंदिरों के आसपास की दुकानों में प्रसादी और भोग सामग्री की गुणवत्ता व मिलावट की शिकायत अक्सर आती है. अब इस प्रोजेक्ट के तहत सभी मंदिरों और दुकानों में भोग सामग्री गुणवत्ता वाली मिलेगी.

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