बेटी की शादी से पहले मजदूरी नहीं मिलने पर पिता ने दी आत्मदाह की चेतावनी

गरियाबंद
अगले महीने बेटी के हाथ पीले करने है, लेकिन गरीब पिता के हाथ में एक फूटी कौड़ी भी नहीं है और तो और सप्ताह भर में मिलने वाली मनरेगा मजदूरी भी इस पीड़ित परिवार को वर्षों से नहीं मिली है. ऐसे में छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में रहने वाले इस गरीब पिता ने मनरेगा की राशि जल्द नहीं मिलने पर परिवार समेत आत्मदाह की चेतावनी दी है.

खूंटगांव के प्रभुलाल का परिवार इन दिनों बड़ी मुसीबत में है. परिवार के मुखिया प्रभुलाल के पास आमदनी का एक ही जरिया था मनरेगा. उसी में काम कर वे अपने परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं, लेकिन इस बार एक साल से मजदूरी का भुगतान नहीं हो सका है. ऐसे में प्रभुलाल की मुसीबत और ज्यादा बढ़ गई है, क्योंकि अगले ही महीने बेटी की शादी है. प्रभुलाल की कुल तीन बेटियां हैं, जिसमें से बड़ी बेटी की शादी पक्की हो गई है.

हाथ में पैसे न होने के कारण वह शादी की तारीख पक्की नहीं कर पा रहा है. प्रभुलाल ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि पिछले साल जनवरी में उसने अपनी पत्नी और बड़ी बेटी के साथ 4 हफ्ते तक मनरेगा में काम किया था. इसका 7 हजार रुपए का भुगतान उसे अब तक नहीं हुआ है जबकि इसके लिए वह 40 बार से ज्यादा सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट चुका है.

पत्नी ईश्वरी बाई का कहना है कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि आखिर बिना पैसे के वो अपनी बेटी की शादी कैसे कर पाएंगी. ईश्वरी की मानें को उनके पास घर भी नहीं है. किसी तरह एक टूटी-फूटी झोपड़ी में रहकर उनका परिवरा गुजर बसर कर रहा है. उन्होंने कहा कि 7 हजार की रकम उनके लिए बहुत बड़ी है. अगर ये पैसे उन्हें नहीं मिले तो बेटी की शादी करना उनके लिए मुश्किल हो जाएगा.

वहीं प्रभुलाल का कहना है कि सरकारी दफ्तरों के लगातार चक्कर काटने के बाद भी उसे अब तक राशि भुगतान नहीं हुआ है. इधर, जिम्मेदार अधिकारी अपनी गलती मानने की बजाय प्रभुलाल पर ही बैंक में जरूरी दस्तावेज समय पर जमा न करने का आरोप लगा रहे हैं.

बहरहाल, अगर जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों द्वारा कोई त्रुटि सुधारने में इतना वक्त लगता है तो सवाल उठने लाजमी है. वैसे गरियाबंद जिले के देवभोग विकासखंड में प्रभुलाल अकेला ऐसा पीड़ित नहीं है बल्कि उसके जैसे 150 से ज्यादा मजदूर हैं, जिन्हें मजदूरी भुगतान के लिए साल भर से अधिकारी चक्कर लगवा रहे हैं.

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