मद्रास हाई कोर्ट का निर्देश, ट्यूशन न पढ़ाएं शिक्षक, व्यापार की तर्ज पर इस्तेमाल अनुचित
चेन्नै
मद्रास हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि स्कूल और कॉलेजों के शिक्षक यदि कोई व्यापार करते हैं या ट्यूशन पढ़ाते हैं तो उनका यह कार्य पूरी तरह से अनुचित है। कोर्ट ने कहा कि स्कूल की टाइमिंग के बाद भी इस तरह का कोई कार्य सही नहीं है। इन सभी मामलों को देखते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं कि वह एक हेल्पलाइन तैयार करने के साथ ही स्कूलों में उसे डिस्प्ले भी करें। उपलब्ध कराई जाने वालीं हेल्पलाइन के जरिए माता-पिता और बच्चे ऐसे मामलों और यौन उत्पीड़न जैसे मुद्दों पर अपनी शिकायत दर्ज करा सकें। कोर्ट ने कहा कि एकबार शिकायत दर्ज होने के 24 घंटों के भीतर राज्य सरकार को मामले में कार्रवाई करनी होगी।
एक कॉर्पोरेशन स्कूल के हेडमास्टर आर. रंगनाथन की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम ने यह आदेश जारी किया। बता दें कि आर रंगनाथन ने वर्तमान स्कूल से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित स्कूल में अपने तबादले को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी।
'ज्यादा पैसे कमाने के लिए चला रहे प्राइवेट क्लासेज'
सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की अनुशासनहीनता के मामलों को देखते हुए जज ने कहा, 'उनकी समाज के प्रति जिम्मेदारी बनती है, इस बात को महसूस किए बिना शिक्षक इस तरह की गैरजरूरी याचिकाएं दायर कर देते हैं।' न्यायाधीश ने कहा कि तमिलनाडु गवर्नमेंट सर्वेंट कंडक्ट रूल्स के नियम 9 के तहत एक टीचर व्यापार जैसी चीजों से संबद्ध नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा, 'राज्यभर में इस तरह की स्थिति बनी हुई है कि ज्यादातर शिक्षक मौद्रिक लाभ के लिए ट्यूशन/कोचिंग और प्राइवेट क्लासेज जैसी चीजें चला रहे हैं।'
'शिक्षकों को रखना चाहिए ईमानदारीपूर्ण रवैया'
जस्टिस सुब्रमण्यम ने कहा, 'ऐसे शिक्षक माता-पिता से पारिश्रमिक के रूप में मोटी कीमत वसूलते हैं। दुर्भाग्य की बात यह भी है कि ये शिक्षक छात्र-छात्राओं पर उनके घरों में ट्यूशन क्लासेज या अपने कोचिंग संस्थानों में पढ़ने के लिए मजबूर करते हैं। स्कूल टाइमिंग के बाद ट्यूशन लेना पूरी तरह से गलत है। ऐसे मामलों में लोकसेवा करने वाले लोगों को अपने कार्य के प्रति समर्पण दिखाना होगा। शिक्षा देने के पेशे को आदर्श माना जाता है, शिक्षकों को स्कूल के साथ-साथ बाहर भी ईमानदारीपूर्ण रवैया, साफ-सुथरा जीवन बनाए रखना चाहिए।'