भोपाल की लोकसभा सीट फिक्स करेगी पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की ऊंचाई
भोपाल
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भोपाल से लोकसभा का चुनाव लडेंगे। दिग्विजय 16 साल बाद चुनावी राजनीति में लोकसभा के सहारे अपनी दूसरी पाली शुरू करने जा रहे हैं। उन्होंने 2003 में मप्र विधानसभा का चुनाव लड़ा था। हाथ से सरकार छूटने के बाद दिग्विजय ने 10 साल तक चुनाव नहीं लडने की घोषणा की थी। 2014 में कांग्रेस ने उन्हें राज्यसभा में भेजा। इस बार उन्होंने मध्यप्रदेश की किसी भी लोकसभा सीट से चुनाव लडने का इरादा रखा और मुख्यमंत्रभ् कमलनाथ ने उनकी इच्छा पूरी करते हुए भोपाल से टिकिट दे दिया। जबकि भोपाल से संदीप दीक्षित और अनिल शास्त्री को टिकिट देने की सूचना भी दी जा रही थी, लेकिन मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अपना दांव दिग्विजय पर लगा दिया है।
जीत हार बताएगी नंबर 1 की दावेदारी
दिग्विजय के जीतने पर मध्यप्रदेश में उनके सबसे बड़े कांग्रेसी नेता होने की छवि और मजबूत होगी। एक बार फिर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व में उनका प्रभाव बढ़ेगा। इसके ये मायने होंगे कि वे कमलनाथ और ज्योतिरादित्य सिंधिया से भी ज्यादा मजबूत स्थिति में होंगे। 16 साल बाद चुनावी राजनीति में वापसी के बाद भी अगर दिग्विजय यह चुनाव हारते हैं, तो कमलनाथ ही कांग्रेस के मप्र के नंबर-1 नेता बन जाएंगे। कमलनाथ सरकार और प्रदेश संगठन में दिग्विजय का दखल भी कम हो जाएगा। वर्तमान में दिग्विजय पीछे से सरकार चलाने बात कही जा रही है। उनकी हार चुनावी राजनीति के मामले मेंउन्हें हाशिए पर ला सकती है। वैसे कमलनाथ को दोनों स्थितियों में फायदा है। दिग्विजय जीते तो दिल्ली चले जाएंगे, हारे तो घर बैठेंगे।
क्या है भोपाल का समीकरण
भोपाल लोकसभा सीट के तहत 8 विधानसभा क्षेत्र आते हैं। 2018 के विधानसभा में कांग्रेस को इन 8 में से 3 सीटों भोपाल उत्तर, भोपाल मध्य और भोपाल दक्षिण-पश्चिम पर जीत मिली थी। वहीं, भाजपा को 5 सीटें बैरसिया, हुजूर, नरेला, गोविंदपुरा और सीहोर मिली थीं। अगर यही ट्रेंड बरकरार रहता है तो दिग्विजय के लिए चुनाव जीतना आसान नहीं होगा। भाजपा नेता और पूर्व सीएम बाबूलाल गौर भी भोपाल सीट से अपनी दावेदारी जता रहे हैं, लेकिन दिग्विजय के सामने खड़ा करने वाला कोई भी नेता अभी बीजेपी को समझा नहीं आ रहा है। क्योंकि दिग्विजय का नाम सुनते ही भाजपा नेता के पसीने जरूर छूट रहे हैं। भोपाल लोकसभा सीट के लिए कुल 21 लाख 2 हजार 54 मतदाता हैं। इसमें 19 लाख 7 हजार 476 भोपाल जिले में और 1 लाख 94 हजार 578 सीहोर विधानसभा में हैं। 2014 में लोकसभा चुनाव में भाजपा के अलोक संजर ने कांग्रेस के पीसी शर्मा को 3 लाख सत्तर हजार से अधिक मतों से हराया था, जबकि विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा 63 हजार में सिमट कर रह गया।
पिछली बार 1984 में कांग्रेस जीती थी
यह सीट 30 साल से भाजपा का गढ़ है। 1984 में केएन प्रधान कांग्रेस के टिकट पर भोपाल सीट से जीते थे। 1989 से यहां भाजपा जीत रही है। अब तक हुए 16 चुनाव में सिर्फ 5 बार कांग्रेस यहां जीत दर्ज कर पाई है। दो बार मैमूना सुल्तान और दो बार शंकरदयाल शर्मा यहां से लोकसभा सदस्य रहे। शर्मा मप्र राज्य के गठन से पहले भोपाल स्टेट के मुख्यमंत्री थे। भाजपा नेता उमा भारती और कैलाश जोशी भी भोपाल से सांसद रहे। ये दोनों मप्र के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।