भारत पर हो रहे हैं सबसे ज्यादा साइबर अटैक्स, बीते तीन महीने में 22 प्रतिशत मामले बढ़े

भारत में बढ़ते इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) स्पेस से जुड़ा बड़ा खतरा सामने आया है। शुक्रवार को सामने आई एक रिपोर्ट में पता चला है कि पिछले तीन महीने में IoT स्पेस में साइबर अटैक के मामले भारत में 22 प्रतिशत बढ़े हैं। इसके साथ ही भारत पिछली तिमाही में सबसे ज्यादा साइबर अटैक्स का शिकार बनने वाला देश बन गया है। बता दें, यह लगातार दूसरी तिमाही है जब भारत साइबर अटैक्स से जुड़े मामलों का शिकार बने देशों में सबसे ऊपर है।

स्मार्ट सिटीज, फाइनेंशल सर्विसेज और ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर्स पर साइबर अटैक से जुड़े सबसे ज्यादा मामले सामने आए। 'State of Internet of Things (IoT) Security' रिपोर्ट में इस बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। इसके लिए 15 भारतीय शहरों से डेटा जुटाया गया, जिनमें मुंबई, नई दिल्ली और बेंगलुरु में सबसे ज्यादा साइबर अटैक के मामले सामने आए। यह स्टडी बेंगलुरु के टेलिकॉम सॉल्यूशन प्रोवाइडर Subex ने की है। पिछले तीन महीने में 33,450 हाई-ग्रेड अटैक्स रजिस्टर हुए, जिनमें 500 बड़े अटैक्स थे।

हैकर्स के निशाने पर इंडियन प्रॉजेक्ट

Subex के सीईओ पी विनोद कुमार ने कहा, 'थ्रेट इंटेलिजेंस की ओर से जुटाए गए बिंदुओं से पता चला है कि हैकर भारतीय प्रॉजेक्ट्स में ज्यादा इंटरेस्ट ले रहे हैं और उन्हें निशाना बना रहे हैं। यह चिंता का विषय है।' रिसर्च में सामने आया है कि हैकर्स की ओर से कई मैलवेयर्स की मदद से क्रिटिकल इंफ्रास्टक्चर प्रॉजेक्ट्स को निशाना बनाया गया और ऐसे अटैक्स की संख्या में बढ़त भी लगातार देखने को मिल रही है। स्टडी में 2,550 से ज्यादा यूनीक मैलवेयर सैंपल्स का पता देश भर में लगा।

ट्रैफिक समझकर डटे रहते हैं मैलवेयर

इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) प्रॉजेक्ट्स को प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट स्टेज पर निशाना बनाया जाता है और सामने आए सैंपल्स में नेटवर्क ट्रैफिक को समझने और लगातार बने रहने के प्रूफ मिले हैं। स्टडी में कहा गया है कि तेजी से बढ़ते दिख रहे भौगोलिक और राजनीतिक प्रेरित साइबर अटैक अब ट्रेंड बन चुके हैं। इनका मकसद किसी भी देश के ऐसे प्रॉजेक्ट्स को नुकसान पहुंचाना और अपनी ताकत साबित करना होता है। कई बार हैकर व्यक्तिगत स्तर पर ऐसे अटैक करता है तो वहीं, कई बार संस्थाएं और दूसरे देश ऐसा करवाते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *