भारत और चीन के बीच पूर्व लद्दाख में जारी तनाव में मामूली सी शांति  

नई दिल्ली
पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच जारी तनाव में थोड़ी सी नरमी देखने को मिली है। दोनों देशों में गलवान घाटी (Galwan Valley) के आसपास लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) जिन 4 क्षेत्रों में तनातनी बनी है, वहां मौजूद सैन्य दस्तों में मामूली सी कमी आई है। लेकिन अभी भी दोनों देश मोर्चे पर लामबंद हैं और कोई भी पीछे हटने के मूड में नहीं है।
इसी सप्ताह भारत और चीन ने मिलिट्री कमांडर स्तर पर इस मसले को लेकर एक लंबी बातचीत की थी। लेकिन दोनों देशों की सेनाएं यहां से पीछे हटें इसके लिए अभी शायद अभी ऐसी और मीटिंग करनी होंगी। 15 जून को गलवान घाटी में हुए सैन्य संघर्ष के बाद भारत अब इस क्षेत्र से चीन को पीछे करने के लिए और भी सुदृढ़ उपायों पर जोर दे रहा है।

सूत्रों की मानें तो अब इस स्थान को खाली करने की प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है। अगर दोनों देशों की बातचीत 'सकारात्मक' रहती है, तब भी सर्दियों तक ही यह इलाका पहले वाली स्थिति में आ पाएगा।
 
चीन को सबक सिखाने के लिए भारत उसे सामरिक और आर्थिक दोनों मोर्चों पर घेर चुका है। नई दिल्ली ने चीन को घेरने के लिए अब कूटनीतिक हथियार भी उठा लिया और अबतक हॉन्ग कॉन्ग में चीन के नए सुरक्षा कानून पर चुप्पी साधने वाले भारत ने इशारों में इस कानून पर सवाल उठाए हैं और दो टूक सुना दिया है।

दोनों देशों के बीच शुरू हुआ यह विवाद अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंच गया है, जहां पूरी दुनिया की नजर है। चीन का नेतृत्व इसे लेकर सजह है क्योंकि अब वह यहां से पीछे हटता है तो दुनिया भर में यह संदेश जाएगा कि भारत उस पर दबाव बनाने में कामयाब हो गया। भारत सरकार इस मामले में दृढ़ता से अपना पक्ष रख चुकी है कि वह अपनी सीमा में किसी का दखल बर्दाश्त नहीं करेगा और न ही सीमा-सुरक्षा को लेकर वह कोई समझौता करेगा। ऐसे में पीएलए को एलएसी से पीछे हटना ही होगा।

सभी जानते हैं कि चीनी सेना ने पैंगोंग सो में मौजूद पट्रोलिंग वाले इलाके 'फिंगर 4 से 8' क्षेत्र में दखल दी है, जिससे यहां विवाद बढ़ा है। इससे पहले भारत के पास संसाधनों की कमी के चलते चीनी सेना के लिए यहां ढील थी।

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