भारतीय इतिहास कांग्रेस का भोपाल में होगा तीन दिवसीय अधिवेशन 26 फरवरी से

भोपाल

विश्व प्रसिद्ध भारतीय इतिहास कांग्रेस का तीन दिवसीय अधिवेशन भोपाल में 26 फरवरी से प्रारंभ होगा। मध्यप्रदेश के ऐतिहासिक महत्व को ध्यान में रखकर अधिवेशन के लिये भोपाल का चयन किया गया है। यह अधिवेशन बरकतुल्ला विश्वविद्यालय के तत्वावधान में आयोजित किया जा रहा है। मुख्यमंत्री श्री कमल नाथ ने अधिवेशन के भोपाल में आयोजन का स्वागत किया है।

भारतीय इतिहास कांग्रेस भारतीय एवं विदेशी विद्वानों तथा इतिहासकारों और इतिहास के विभिन्न पहलुओं से जुड़े शिक्षकों और शोधार्थियों की लब्ध प्रतिष्ठित प्रतिनिधि संस्था है। इस संस्था ने ऐतिहासिक स्त्रोतों का निष्पक्ष और वैज्ञानिक अध्ययन कर इतिहास की पुन:व्याख्या को बढ़ावा दिया है, जिसके फलस्वरूप भारतीय इतिहास की पुन:संरचना में औपनिवेशिक पूर्वाग्रहों को समझने में मदद मिली।

इस संस्था से जुड़े भारतीय इतिहास के कुछ पुरोधाओं ने भारत की मिश्रित संस्कृति, विविध क्षेत्रीय परम्पराओं और सदियों से साथ-साथ रहते आ रहे समुदायों और संस्कृतियों को प्रमुखता से उजागर कर राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भारतीय इतिहास कांग्रेस के अग्रणी इतिहासकारों ने भारतीय नागरिकों की समावेशी पहचान के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

ज्ञातव्य है कि हाल ही में ही पूणे के सावित्री बाई फुले विश्वविद्यालय ने भारतीय इतिहास कांग्रेस का 79वां सत्र आयोजित करने में आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए असमर्थता व्यक्त की थी। अभी तक इतिहास में राष्ट्रीय महत्व की घटनाओं से केवल तीन बार भारतीय इतिहास कांग्रेस का सत्र रद्द किया गया। पहली बार 1942 में भारत छोड़ो आन्दोलन और दूसरी तथा तीसरी बार वर्ष 1962 एवं 1971 में युद्ध के समय भारतीय इतिहास कांग्रेस का सत्र रद्द किया गया। मध्यप्रदेश सरकार ने भारतीय इतिहास कांग्रेस के ऐतिहासिक महत्व को समझते हुए प्रदेश में अधिवेशन के आयोजन का समर्थन किया है।

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