भाजपा हारी सीटों पर ज्यादा सदस्य बना जनाधार बढ़ाएगी, दक्षिण के राज्यों पर जोर

 नई दिल्ली
भाजपा अपने सदस्यता अभियान को उन लोकसभा सीटों पर ज्यादा तरजीह दे रही है, जहां पार्टी जीत हासिल नहीं कर सकी थी। इन क्षेत्रों में भाजपा अपनी सदस्य संख्या बढ़ाकर संगठन को मजबूत करने के साथ अगले चुनावों के लिए मजबूत आधार बनाएगी। खासकर दक्षिण के राज्यों में जहां भाजपा को अभी दूरदराज के लोगों में अपनी पहचान बनानी बाकी है। भाजपा का सदस्यता अभियान शनिवार से शुरू होने जा रहा है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत सभी बड़े नेता अलग-अलग स्थानों से इसकी शुरुआत करेंगे। पार्टी ने इस अभियान को संगठन के विस्तार व मजबूती के साथ परोक्ष रूप से चुनावी तैयारी से भी जोड़ रखा है। जिन लोकसभा क्षेत्रों में भाजपा को हार मिली है, वहां अपनी जमीन मजबूत करने के लिए ज्यादा सदस्य बनाए जाएंगे। इससे पार्टी को जनाधार बढ़ाने में मदद मिलेगी।

दक्षिण के राज्यों पर जोर : भाजपा के सदस्यता अभियान से जुड़े एक नेता ने कहा कि जो भी व्यक्ति एक बार मिस्ड कॉल लेकर सदस्य बनता है वह भाजपा के बारे में सोचेगा, उसके बारे में पढ़ेगा। भले ही वह पार्टी कार्यक्रमों में सक्रिय न रहे, पर पार्टी उस तक पहुंच रही है। क्योंकि मिस्ड कॉल पर नंबर आने के बाद पार्टी अपनी सूचनाएं उस नंबर पर भेजनी शुरू कर देती है। चूंकि भाजपा दक्षिण के राज्यों में कमजोर है। इसलिए इस बार सदस्यता अभियान के लिए दक्षिण पर जोर है। वहां के लोगों को कहा जा रहा है कि एक बार भाजपा से जुड़कर देंखे। उसे देखें, समझें। इसमें पार्टी वोट की बात पर जोर नहीं देगी।

मिशन 50 फीसदी के लिए सदस्यता बढ़ाना अहम
भाजपा की 2019 की लोकसभा चुनावों में जीत में एक बड़ी भूमिका पार्टी के चार साल पहले हुए सदस्यता अभियान की रही, जिसमें पार्टी देश ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी बनी। इस अभियान में मिस्ड कॉल से 11 करोड़ से ज्यादा सदस्य बने थे। जिनमें से एक बड़ी संख्या उन लोगों की थी जो पहली बार किसी राजनीतिक दल के सदस्य थे। अब जबकि भाजपा अगले चुनावों को मिशन 50 फीसदी पर लड़ने की तैयारी में है, तब अधिकाधिक सदस्यता जरूरी है।

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