बोधगया के इस स्कूल की अनोखी पहल, यहां पढ़ने के लिए फीस की जगह देना पड़ता है कचरा

 
गया

 जैसे-जैसे दुनिया की आबादी बढ़ रही है, वैसे-वैसे कचरा भी बढ़ता जा रहा है। यह कचरा न सिर्फ पर्यावरण बल्कि सेहत को भी नुकसान पहुंचा रहा है। ऐसे में पर्यावरण को बचाने और कचरा कम करने के लिए बिहार के एक स्कूल ने बहुत ही सराहनीय कदम उठाया है। बोधगया में स्थित एक स्कूल में पढ़ाई के बदले फीस नहीं बल्कि कचरा लिया जाता है, ताकि उसे नष्ट किया जा सके। जहां इस पहल से बच्चे पर्यावरण के प्रति जागरुक होंगे, वहीं माता-पिता को फीस की चिंता से भी निजात मिलेगी।

बता दें कि, बोधगया के कोरियन संस्था के द्वारा पदमपाणी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को स्कूल ड्रेस से लेकर मिड-डे-मिल तक कि सुविधा दी जाती है। साथ ही बच्चों से किसी तरह की कोई फीस नहीं ली जाती है। निर्देश के मुताबिक, बच्चे आते हुए रास्ते में मिलना वाला सारा कचरा स्कूल लेकर आते हैं और फिर उसे गेट में रखे कूड़ेदान में फेंक दिया जाता है। वहीं प्लास्टिक के कचरे से भरे डस्टबिन को स्कूल के पास ही प्रतिदिन जलाकर खत्म कर दिया जाता है।

एनजीओ सोशियो एजुकेशनल फाउंडेशन के समन्वयक मनोरंजन कुमार ने बताया कि शुरुआत में बच्चों की यूनिफॉर्म, किताबों और मिडडे मील का खर्च स्थानीय लोगों से चंदा लेकर किया जाता था। साल 2018 में कोरिया के कुछ पर्यटक यहां आए। उन लोगों ने स्कूल देखा और काफी प्रभावित हुए। इसके बाद से हर नियमित रूप से वे लोग डोनेशन देते हैं, जिसे स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर व बच्चों पर खर्च किया जाता है।

पर्यावरण के खतरों के प्रति जागरूक होंगे छात्र: प्रिंसिपल
स्कूल प्रिंसिपल मीरा मेहता का कहना है कि फीस की बजाय कचरा लेने के पीछे की मुख्य वजह बच्चों को जिम्मेदारी की भावना का अहसास कराना है। इससे वह ग्लोबल वार्मिंग और पर्यावरण के खतरों के प्रति जागरूक हो सकें। बता दें कि, असम में भी एक ऐसा स्कूल है, जहां बच्चों को पढ़ने के लिए पैसे नहीं बल्कि प्लास्टिक का कचरा देना होता हैं। उन्हें एक हफ्ते में कुल 25 वेस्ट प्लास्टिक आइटम देने होते हैं।
 

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