बीयू की पूर्व छात्राओं ने बनाई सस्ती केचुआ खाद

भोपाल
बरकतउल्ला विश्वविधालय के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की पूर्व छात्राओं ने सस्ती एवं उन्नत केचुआ खाद बनाई है। जो कि बहुत कम लागत मे ज्यादा मुनाफा भी देगी। विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल प्रकाष के मागदर्शन मे पूर्व छात्राओं स्वाती मिश्रा और माया सुमन ने महिला सस्कतिकरण की तरफ एक कदम बढ़ाते हुए स्वंय के रिसोर्स से केचुआ खाद बनाई है। छात्राओं ने बताया कि उन्होंने मप्र के कई गांवो में निरीक्षण किया है। 

किसान हानिकारक यूरिया एवं डीएपी का अत्यंत ही अत्यधिक उपयोग फसलों मे कर रहे है। तब उन्होंने निर्णय लिया कि समाज को किसी भी तरह से हानिकारक केमीकल एवं पेस्टीसाइडस से बचाते हुए आर्गेनिक खेती की तरफ रूझान बढ़ाना है। छात्राओं ने अपनी विषय की डिग्री लेने के उपरांत पांरपरिक रूप से नौकरी न करते हुए जैविक कचरे से खादों का निर्माण लिया। केचुआ खाद आर्गेनिक होती है। इसमें मौजूद पोषक तत्वों से भूमि की गुणवत्ता मे भी सुधार होता है। 

किसान इसे आसानी से प्रयोग करके अच्छी पैदावार कर सकते है। जैविक कचरे की मात्रा को धीरे-धीरे कम भी किया जा सकता है। उन्होने भविष्य मे उपरोक्त खाद को कई सारी फसलों मे प्रयोग करने के साथ-साथ अन्य लाभदायक जीवाणुओं से बनी जैविक खाद एवं मशरूम उत्पादन करने पर भी विचार किया है। छात्रा स्वाती मिश्रा ने बताया की इस कार्य हेतु उनके पिता अरूनेष मिश्रा एवं परिवार का भरपूर सहयोग मिला है। 

पोस्टर अवार्ड से सम्मानित 
बीयू के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के शोधार्थी डॉ. गोविंद गुप्ता को आचार्य नागार्जुन विश्वविद्यालय गुंटूर आन्ध्रप्रदेश एवं इंडियन चेप्टर आॅफ एशियन पीजीपीआर सोसायटी द्वारा आयोजित पंचम नेशनल एशियन पीजीपीआर कांफ्रेंस फॉर सस्टेनेबल एवं आर्गेनिक एग्रीकलचर मे बेस्ट पोस्टर का अवार्ड मिला है। उनका शोध कार्य बहुआयामी लाभदायक जीवाणुओं का प्रयोग करके पौधों के वृद्धि एवं उत्पादन पर आधारित था जोकि हानिकारक रासयनिक खादों का अच्छा विकल्प हो सकती है। शोधार्थी ने बताया कि उपरोक्त शोध कार्य विभागाध्यक्ष डॉ. अनिल प्रकाश के मार्गदर्शन मे किया गया।

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