बीजेपी यूपी से एक तिहाई सांसदों के टिकट काटने की तैयारी में 

 नई दिल्ली 
उत्तर प्रदेश में कठिन चुनावी लड़ाई का सामना कर रही बीजेपी एक तिहाई लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार बदलने की तैयारी में है। बीजेपी लीडरशिप उम्मीदवारों के चयन में जीतने की क्षमता, परफॉर्मेंस और छवि जैसे तीन पहलुओं का ध्यान रख रही है। पार्टी के एक सूत्र ने बताया कि बीजेपी चीफ अमित शाह लिस्ट में ऐसा कोई नाम नहीं चाहते जो किसी भी मायने में कमजोर हो। उनके मुताबिक बीजेपी की लिस्ट में यूपी की 25 सीटों से उम्मीदवार बदले जा सकते हैं। 
 पार्टी सूत्रों ने बताया कि सीनियर लीडर्स के बीच प्रत्येक सीट पर उम्मीदवार को लेकर गहन चर्चा चल रही है। यही नहीं उम्मीदवारों के चयन में कई राउंड की स्क्रूटनी की जा रही है और सर्वे, नमो ऐप से मिले फीडबैक आदि को भी तवज्जो दी जा रही है। पीएम नरेंद्र मोदी ने खुद सांसदों के परफॉर्मेंस को लेकर पब्लिक से फीडबैक मांगा था और अब उम्मीदवारों के चयन में यह काफी काम आ रहा है। 

पार्टी को लगता है कि जिन उम्मीदवारों को फीडबैक के चलते काटा जा रहा है, उनसे उसे कोई परेशानी नहीं होगी क्योंकि पब्लिक का मूड भी उनके पक्ष में नहीं है। ऐसे में इन लोगों के टिकट काटने से पार्टी को भीतरघात का खतरा भी कम है। अब तक पार्टी ने सूबे में 78 में से 32 सीटों पर कैंडिडेट्स का ऐलान किया है, दो सीटें अपना दल को दी गई हैं। शनिवार को यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ की मौजूदगी में केंद्रीय चुनाव समिति ने यूपी के उम्मीदवारों पर विस्तार से चर्चा की। सोमवार को भी केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक है, ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही पार्टी यूपी के सभी उम्मीदवारों का ऐलान कर देगी। 

केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज का पत्ता साफ, कई और नपेंगे 
बीजेपी ने अब तक जारी यूपी की लिस्ट में से 6 मौजूदा सांसदों का टिकट काट दिया है। इनमें शाहजहांपुर से सांसद और केंद्रीय मंत्री कृष्णा राज का भी नाम है। सूत्रों का कहना है कि कई रिपोर्ट्स से पूर्वी उत्तर प्रदेश के कई सांसदों के कमजोर परफॉर्मेंस की बात सामने आई है। ऐसे में पार्टी किसी स्थानीय ऐंटी-इन्कम्बैंसी से बचने के लिए इनके टिकट काटने पर विचार कर रही है। 

कठेरिया अब भी रेस में, उतर सकते हैं किसी और सीट से 
आगरा के सांसद राम शंकर कठेरिया का टिकट काटकर उनकी जगह एसपी सिंह बघेल को उम्मीदवार बनाया गया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि वह भी रेस में बने हुए हैं। दलित चेहरा होने के चलते उन्हें आगरा के पास की ही किसी दलित बहुल सीट पर कैंडिडेट बनाया जा सकता हैं। 

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