बीजेपी के अभेद किलोंं पर कांग्रेस की नजर, दो दशक से नहीं मिली इन सीटों पर जीत

भोपाल
मोदी लहर में भारतीय जनता पार्टी ने कांग्रेस के सभी किले ध्वस्त कर दिए थे। कांग्रेस 29 में से सिर्फ दो सीटों पर सिमट कर रह गई थी। विधानसभा चुनाव में मिली जीत से पार्टी और संगठन का मनोबल बढ़ा है। अब कांग्रेस की निगह भाजपा की उन सीटों पर है जो उसका दुर्ग कही जाती हैं। करीब 10 सीटों पर पार्टी को दो दशकों से जीत नहीं मिली है। इसके लिए लगातार कांग्रेस संघर्ष कर रही है। इन सीटों पर राजधानी भोपाल समेत इंदौर और कई सीटें शामिल हैं। 

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने अब ऐसी दस सीटों पर लोकसभा चुनाव जीतने की रणनीति तैयार की है। इसके लिए कांग्रेस 27 जनवरी को एक बैठक करने जा रही है। इस बैठक में भाजपा की अभेद सीटों में सेंध लगाने पर चर्चा की जाएगी। कमलनाथ विधानसभा चुनाव जीतने के बाद अब लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस को अधिका सीटों पर जीत दिलाने और 2014 में अपनी ही सीटों पर दोबारा जीत पाने की योजना पर काम कर रहे हैं।  

भोपाल, इंदौर, विदिशा, दमोह, सागर, भिंड, जबलपुर, सीधी, सतना बैतूल शामिल हैं। इन भी सीटों पर जीत का परचम लहराने के लिए प्रदेश प्रभारी दीपक बावरिया एक बार फिर बैठक लेंगे। वह 27 जनवरी के लोकसभा क्षेत्र के प्रभारियों के साथ बैठक करेंगे। सूत्रों के मुताबिक बावरिया इन सीटों पर जीत की योजना पर चर्चा करेंगे। उनका फोकस भाजपा की सीटों पर अधिक है। वह सभी प्रभारियों से लोकसभा चुनाव से पहले कामकाज की रिपोर्ट लेंगे। फिर ये रिपोर्ट दिल्ली जाएगी। 

भोपाल में कांग्रेस को अखिरी जीत 1984 में मिली थी। इस चुनाव में कांग्रेस केएन प्रधान सांसद चुने गए थे। 1989 के चुनाव से कांग्रेस लगातार इस सीट पर हारती रही है। कहा जाता है इस सीट पर अब संघ और बीजेपी की गहरी पैठ है। वहीं, इंदौर में भी कांग्रेस के लिए ऐसा ही कुछ है। इंदौर में भी कांग्रेस की ओर से पूर्व सीएम प्रकाश चंद सेठी आखिरी बार चुनाव जीते थे। उनके बाद से इस सीट पर वर्तमान लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन जीत रही हैं। इस बार कयास लगाए जा रहे हैं इस सीट पर बीजेपी की ओर से कई दावेदार हैं। लेकिन ताई अपने बेटे को भी इस सीट पर चुनाव लड़ा सकती हैं। 

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