बिहार शराबबंदी पर भारी माफियागिरी, बिना रोक-टोक पहुंच रही करोड़ों की शराब

गोरखपुर    
बिहार में शराब बंदी का फायदा उठाकर शराब माफियाओं ने काली कमाई का एक नया कारोबार खोल दिया है। मोटी रकम के बूते पुलिस को सुलाने के बाद वह हरियाणा से लेकर बिहार तक फर्राटा भरती गाड़ियों से शराब पहुंचा रहे हैं। एक अनुमान के मुताबिक महीने में करोड़ों की शराब बिहार पहुंचाई जा रही है। कार्रवाई के नाम पर पुलिस भी माफियाओं की मर्जी से कुछ गाड़ियां चलान कर देती है।

हरियाणा से लेकर गोरखपुर के रास्ते बिहार तक दर्जनों जिलों से शराब लदी गाड़ियां पार कराई जाती हैं। ये वह शराब लदी गाड़ियां हैं जो यूपी में भी प्रतिबंधित हैं उसके बाद भी इन गाड़ियों की जांच न के बराबर ही होती है। अगर कुछ गाड़ियां पकड़ी भी जाती हैं तो उसमें भी माफिया की मर्जी ही होती है क्योंकि बड़ी गाड़ियों को पार कराने के लिए वह छोटी गाड़ियां पकड़वाकर पुलिसवालों को भी खुश करते रहते हैं।
 
पुलिस और माफिया की गठजोड़ से हरियाणा की शराब बिहार भेजी जा रही हैं। शराब वाले रूट के कई थाने और चौकियां बिकी हैं। अगर कुछ शराब पकड़ी भी जाती है तो वह भी माफियाओं की मर्जी से ही। शराब के खिलाफ कार्रवाई दिखाने के लिए पुलिसवाले कुछ गाड़ियों को बरामद दिखाते और उनके चालक और खलासी कुछ दिन के लिए जेल जाने के बाद फिर बाहर आ जाते। शराब माफिया तक पहुंचने का पुलिस कभी प्रयास ही नहीं करती है। जिन गाड़ियों से शराब पकड़ी जाती उन गाड़ियों को छुड़ाने भी कोई थाने या पुलिस के पास नहीं पहुंचता है। पुलिस तह तक जाने की जगह गिरफ्तारी और बरामदगी दिखाकर फाइल बंद कर देती है।

बिहार में शराब बंदी के बाद यूपी के रास्ते बिहार में शराब पहुंचाने का धंधा करोड़ों का है। हरियाणा से ट्रक, डीसीएम या फिर छोटी गाड़ियों से शराब बिहार तक पहुंचाई जाती है। हरियाणा की शराब इस वजह से क्योंकि टैक्स फ्री होने से वह काफी सस्ती होती है। हालांकि यूपी में भी उसकी बिक्री पर प्रतिबंध है पर शराब माफियाओं का अब यूपी में शराब बेचने का बहुत जोर नहीं है। वह बिहार तक शराब पहुंचाने में लगे हैं। इससे उन्हें भारी मुनाफा हो रहा है।

माफियाओं ने शराब को थाने और चौकी की सीमा से निकालने के लिए खास सिपाहियों को जिम्मेदारी सौंपी है। वह अपनी सेटिंग से अन्य पुलिसवालों को इसमें शामिल करते हैं और वही पुलिसवाले माफिया से बात करके कुछ गाड़ियों को इस वजह से पकड़वा देते हैं जिससे बड़े अफसरों को यह लगे कि कार्रवाई हो रही है। असल में कार्रवाई के पीछे का बड़ा खेल बड़ी गाड़ियों को इलाके से पार करना होता है। हरियाणा से चलने वाली शराब लदी गाड़ियां लखनऊ तक तो अलग-अलग रास्ते से आती है पर उसके बाद वह फोरलेन से बेधड़क होकर चलती है। लखनऊ, बाराबंकी, अयोध्या, बस्ती, संतकबीरनगर, गोरखपुर और कुशीनगर के बाद बिहार सीमा में प्रवेश करा दिया जाता है।

गोरखपुर में सहजनवा और खोराबार इलाके में सबसे ज्यादा शराब लदी गाड़ियां पकड़ी जाती हैं। इनमें लग्जरी वाहनों का प्रयोग किया जाता है। इन दोनों थानों में फोरलेन का एक बड़ा हिस्सा आता है। संतकबीरनगर जिले से गोरखपुर जिले में प्रवेश करने के बाद जहां सहजनवा थाने की सीमा शुरू होती है वहीं एक बड़े हिस्से में खोराबार थाने की सीमा आती है और फिर कुशीनगर की सीमा में गाड़ी चली जाती है। चौरीचौरा व झंगहा थाना क्षेत्र में भी कई बार हरियाणा निर्मित अवैध शराब की गाड़ियां पकड़ी जा चुकी हैं।

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