बिहार: लोकसभा चुनाव में नीतीश कुमार के पाला बदलने पर होगा ‘जनमत संग्रह’
पटना
देशभर में लोकसभा चुनाव के तीन दौर के मतदान हो चुके हैं। राष्ट्रीय स्तर पर जहां इस चुनाव को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विपक्ष के बीच लड़ाई के रूप में देखा जा रहा है, वहीं बिहार में इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए जनमत संग्रह के रूप में देखा जा रहा है। जेडीयू नेता नीतीश कुमार वर्ष 2005 से दो बार पाला बदलकर किसी न किसी तरह से सत्ता में बने हुए हैं।
वर्ष 2013 में गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद नीतीश कुमार ने खुद को एनडीए से अलग कर लिया था। नीतीश और मोदी के बीच संबंधों में खटास इतना ज्यादा आ गया कि बिहार के सीएम ने उन्हें 'जुमलेबाज' कह दिया था। उधर, मोदी ने भी पलटवार करते हुए कहा था कि धोखेबाजी बिहार के सीएम के डीएनए में है।
इसके बाद से अब गंगा में काफी पानी बह चुका है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जेडीयू ने बीजेपी के साथ अपनी 17 साल पुरानी दोस्ती को तोड़ दिया। इस चुनाव में जेडीयू को बीजेपी से करारी शिकस्त मिली। इसके बाद अगले साल नीतीश कुमार विधानसभा चुनाव में गठबंधन के लिए अपने मित्र से दुश्मन बने लालू यादव के पास गए। चार साल बाद वह एक बार फिर से लोकसभा चुनाव में जेडीयू-बीजेपी गठबंधन का नेतृत्व कर रहे हैं।
पीएम मोदी की प्रशंसा कर रहे नीतीश
नीतीश कुमार बिहार के तेजी से विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के नाम पर पीएम मोदी की प्रशंसा कर रहे हैं। नीतीश कुमार की प्रतिष्ठा भी इस बार के चुनाव में दांव पर लगी है। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में मात्र दो सीटें जीतने के बाद भी बीजेपी ने उन्हें अपने बराबर 17 सीटें दी हैं। नीतीश कुमार हरेक रैली में बिहार के विकास के लिए एनडीए का चेहरा हैं।