बागवानी किसानों को राहत देने केंद्र सरकार कर रही हरसंभव प्रयत्न
भोपाल/दिल्ली
बागवानी किसानों को राहत के लिए प्रधानमंत्री के मार्गदर्शन में केंद्र सरकार हरसंभव प्रयत्न कर रही है। बाजार हस्तक्षेप योजना प्रभावी है जिसमें जल्दी खराब होने वाली उपज की कीमतें गिरने पर राज्य केंद्र को प्रस्ताव दे सकते हैं। इससे किसानों को राहत मिलेगी। राज्यों को इसके लिए आदेश दिए गए हैं।
केन्द्रीय मंत्री तोमर ने कहा है कि कोरोना महामारी के चलते किसानों के हितों को प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। केंद्र की एमआईएस योजना में किसानों को हुए इस नुकसान की भरपाई का प्रावधान है। इसके अनुसार किसानों को हुए नुकसान की आधी भरपाई केंद्र और आधी राज्य सरकारें करती हैं। जिसके लिए राज्य सरकारों को आदेश कर दिए गए हैं।
कृषि मंत्री तोमर ने बताया कि उपार्जन की दृष्टि से एफसीआई और नाफेड को तैनात कर दिया गया है। इसलिए केंद्र ने अपनी तरफ से राज्य सरकारों को ये आॅर्डर दिए हैं कि वे अपने यहां होने वाली दलहन और तिलहन की खरीदी करा सकेंगे।
इस बार 31 मार्च की तारीख लॉकडाउन के बीच आ रही थी, जिसमें किसानों का अपनी उपज बेचना और बैंक तक आना संभव नहीं था। इसलिए यह तारीख 31 मई तक बढ़ा दी है। यानी 31 मई तक कर्ज की राशि बैंक में जमा कराने वाले किसानों को भी ब्याज सब्सिडी मिलेगी। समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए सभी राज्यों से प्लान तैयार रखने के लिए कहा गया है, ताकि 15 तारीख के बाद जो स्थिति बनेगी, उसके हिसाब से काम शुरू हो सके। राज्यों में हेल्थ के क्षेत्र में और ज्यादा काम हो सके, इसके लिए डीएमएफ ट्रस्ट की राशि के उपयोग के लिए संशोधन किया गया है। उन्होंने कहा कि हार्टीकल्चर के क्षेत्र में अच्छा काम हुआ है। तोमर ने कहा कि आवाजाही बंद होने से दाम गिर गए हैं पर अभी भी लोगों को ज्यादा दिक्कत नहीं है।
जो मजूदर रास्ते में फंसे हैं, वे स्थायी काम करने वाले हैं। दूसरे मजदूर कांट्रेक्ट लेबर हैं, जो कारखानों में ही काम करते हैं। तीसरे प्रकार के वे मजदूर हैं, जो फसलों की कटाई के लिए जाते हैं। ऐसे समय में हमारी पहली प्राथमिकता लोगों की जिंदगी बचाने की है, इसके लिए इन मजदूरों को जहां-तहां रोका गया है।
तोमर ने कहा कि लॉकडाउन के इस दौर में भी 1600 से अधिक मंडियां चालू हैं, जिनमें काम हो रहा है। कोशिश है कि लोग मंडियों में आकर खरीद कर सकें। राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे ऐसी व्यवस्थाएं बनाएं कि मंडी के बाहर भी खरीद हो सके। फल और फूल उत्पादक किसानों को नुकसान हुआ है। सरकार की ओर से उनके नुकसान को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं।