कोरोना महामारी को लेकर सैनिटाइजर की मांग बढ़ी तो शुरू हो गया ऊपर से लेकर नीचे तक मुनाफाखोरी का खेल
पटना
कोरोना को लेकर सैनिटाइजर की मांग क्या बढ़ी, बेचने वालों ने ग्राहकों को लूटना शुरू कर दिया। 70 रुपए में बिकने वाला सैनिटाइजर 200 रुपए में मिल रहा है। ये सरकार की गाइडलाइन की भी परवाह नहीं करते। मौके का फायदा उठाने के लिए ऊपर से लेकर नीचे तक मुनाफाखोरी होने लगी है। बाजार में नई-नई कंपनियों के सैनिटाइजर आ चुके हैं। जानकारों की मानें तो इसमें कंपनी की ओर से मोटी कमीशन नीचे के स्तर तक जाती है। अब चूंकि जान का सवाल है, इसलिए लोग न दाम को लेकर मोल-भाव करते हैं और न कंपनी को लेकर कोई पसंद जाहिर करते हैं। पैनिक तरीके से खरीदारी के कारण तुरंत दुकानों से पूरा माल साफ हो जा रहा है। हिन्दुस्तान स्मार्ट ने शहर में सैनिटाइजर की खरीद-बिक्री की पड़ताल की तो कई हकीकत सामने आए।
केंद्र सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की गाइडलाइन की मानें तो 200 एमएल सैनिटाइजर की कीमत 100 रुपए निर्धारित की गई है। हाथों की सफाई के लिए जिन जरूरी केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है, वह कहीं से इतना महंगा नहीं होता कि चार गुणा तक अधिक कीमत वसूल की जाए। इसे लेकर प्रदेश स्तर पर सिविल सर्जन और जिला प्रशासन के निर्देशन में मेडिकल की टीम जांच करती है।
मांग बढ़ी तो दाम आसमान पर
दवा दुकानों पर नीम युक्त सैनिटाइजर की भरमार है। मगर पूर्व में 100 एमएल की कीमत 70 के 100 रुपए के बीच होती थी। वही अब 200 से 300 रुपए में मिल रही है। हिन्दुस्तान स्मार्ट ने दवा दुकानदारों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि मार्च से पहले 100 रुपए में दो ग्राहक भी रोज सैनिटाइजर नहीं खरीदते थे। मगर अभी 50 लोग इसी की मांग करते हैं। इसी का फायदा कंपनियां उठा रही हैं। मांग बढ़ी है तो कीमत दो गुना तक बढ़ा दिया गया है।
विशेषज्ञ ने बतायी हकीकत
एक फार्मासिस्ट ने बताया कि सर्जरी के दौरान इस्तेमाल होने वाला सर्जिकल स्प्रीट के साथ नीम, चंदन, एलोवेरा का फ्लेवर के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा इसमें कोई बहुत महंगा केमिकल नहीं डाला जाता। सभी 99.9 फीसदी तक जम्र्स खत्म करने के दावा करते हैं। ऐसा होता भी है। इसकी कीमत मनमाने तरीके से नहीं बढ़ाया जा सकता। स्थानीय स्वास्थ्य टीम जांच के दौरान कार्रवाई कर सकती है।
तीन महीने में 72 से हो गया 190 रुपया दाम
एक ग्राहक से पूछने पर बताया कि तीन महीन में तीन सैनिटाइजर खरीद चुका हूं। सबसे पहले 72 रुपए में मिला था। दूसरे महीने में 130 रुपए और तीसरे महीने अभी अप्रैल में खरीदने गए तो कीमत 190 रुपए हो चुका हैर्। ंप्रट की गई कीमत पर ही इसे खरीदना हमारी मजबूरी है। मगर यह कहां से आ रहा है, इसकी जांच कहीं नहीं हो रही है।
इस तरह की शिकायत लगातार आ रही है। दुकानों में लोगों से अधिक पैसे लिए जा रहे हैं। डिमांड बढ़ा है तो हर महीने कीमत नहीं बढ़ सकती। हमारी टीम जल्द ही छापेमारी करेगी। पकड़े जाने पर दुकानदार सहित निर्माण एजेंसी पर भी कार्रवाई होगी।
-आरके चौधरी, सिविल सर्जन, पटना