बच्‍चों को पाउडर मिल्‍क देना कितना सही है

नौ महीने की प्रेग्‍नेंसी और डिलीवरी के बाद मां की अगली जिम्‍मेदारी होती है शिशु को दूध पिलाना। केवल किसी गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या के चलते ही शिशु को मां का दूध नहीं दिया जाता है। हालांकि, अब नौकरी या अन्‍य वजहों से पाउडर या फॉर्मूला मिल्‍क को भी तवज्‍जो मिलने लगी है।

लेकिन क्‍या आप इस बात से वाकिफ हैं कि शिशु के लिए पाउडर मिल्‍क सुरक्षित होता है या नहीं और शिशु को इससे किसी तरह का कोई नुकसान तो नहीं पहुंचता।

इस लेख के जरिए हम आपको यही बताने जा रहे हैं कि शिशु के लिए पाउडर मिल्‍क के फायदे और नुकसान क्‍या होते हैं।

क्‍या होता है पाउडर मिल्‍क
ब्रेस्‍ट मिल्‍क के विकल्‍प के तौर पर पाउडर या फॉर्मूला मिल्‍क दिया जाता है। डिलीवरी के बाद सभी महिलाओं के स्‍तनों में पर्याप्‍त दूध नहीं बन पाता है, ऐसी स्थिति में पाउडर मिल्‍क दिया जा सकता है। लिक्विड मिल्‍क को वेपराइज करके मिल्‍क पाउडर बनाया जाता है। इससे शिशु को कई पोषक तत्‍व मिल जाते हैं।

पाउडर मिल्‍क पीने के फायदे
शिशु को पाउडर मिल्‍क देने के भी कई फायदे होते हैं जैसे कि :

    इसमें आयरन, कैल्शियम और विटामिन होते हैं जो शिशु में एनीमिया को रोकने में मदद करते हैं।
    आप शिशु को कभी भी और कहीं भी पाउडर मिल्‍क दे सकती हैं।
    निप्‍पल में दर्द और दूध लीक होना आम समस्‍याएं हैं। ऐसे में आप दर्द से बचने के लिए पाउडर मिल्‍क का इस्‍तेमाल कर सकती हैं।
    पाउडर मिल्‍क शिशु को पिलाने के लिए हर समय मां की जरूरत नहीं पड़ती है। घर का कोई भी सदस्‍य पाउडर मिल्‍क तैयार कर बच्‍चे को पिला सकता है।
    शिशु को स्‍तनपान करवाने की वजह से महिलाओं को अपनी डायट का बहुत ध्‍यान रखना पड़ता है, लेकिन पाउडर मिल्‍क के साथ ऐसा नहीं है। इसमें मांएं अपनी पसंद का कुछ भी खा सकती हैं।

पाउडर मिल्‍क पिलाने के दुष्‍प्रभाव
किसी भी चीज का अगर फायदा होता है तो उसके कुछ नुकसान भी जरूर होते हैं

    ब्रेस्‍ट मिल्‍क फ्री होता है जबकि पाउडर मिल्‍क बहुत महंगा आता है। इसके बाद दूध की बोतल और निप्‍पल का खर्च अलग।
    पाउडर मिल्‍क में बोतल और निप्‍पल को बार-बार धोना, दूध को गर्म करना और दूध तैयार करने जैसे काम भी करने पड़ते हैं जबकि ब्रेस्‍ट मिल्‍क पिलाना आसान होता है।मां के दूध में जरूरी एंटीबॉडीज और ग्रोथ हार्मोन प्राकृतिक रूप से मौजूद होते हैं। पाउडर मिल्‍क में इन चीजों की कमी होती है। इसकी वजह से बच्‍चे जल्‍दी बीमार पड़ते हैं और उनमें संक्रमण होने का खतरा भी बढ़ जाता है।
    मां का दूध आसानी से पच जाता है जबकि फॉर्मूला और पाउडर मिल्‍क को पचाना मुश्किल होता है। इससे शिशु को कब्‍ज और गैस की परेशानी हो सकती है।

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