बच्चा पैदा करने की नहीं थी इजाजत, परेशान होकर 8 लाख के नक्सली दंपति ने किया सरेंडर

सुकमा
पिछले कई सालों से नक्सल संगठन में काम कर रहे नक्सली दंपति समेत 4 नक्सलियों ने संगठन को छोड़ पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है. सरेंडर (Surrender) करने वाले नक्सलियों में रघु पर 5 लाख का इनाम और उसकी पत्नी लखे पर 3 लाख का इनाम है. सरेंडर करने वाले नक्सलियों ने संगठन पर गंभीर आरोप भी लगाए हैं. इधर. सरेंडर करने वाले नक्सलियों को सरकार की पुनर्वास नीति से लाभ देने की बात पुलिस (Police) कर रही है.

कोरोना और लॉकडाउन के बीच जिला पुलिस और सीआरपीएफ की 74वीं बटालियन को एक बड़ी सफलता मिली है. इनामी दंपति समेत 4 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है जिसमें कोंटा एलजीएस कमांडर पोड़ियम गंगा उर्फ रघु जिस पर 5 लाख का इनाम और उसकी पत्नी मुचाकि लखे जिस पर 3 लाख का इनामी घोषित था. वहीं इसके अलावा सोड़ी रमेश 1 लाख का इनाम और हेमला भीमा ने आत्मसमर्पण कर दिया है. पुलिस और सीआरपीएफ के अधिकारियों ने सरेंडर नक्सलियों को प्रोत्साहन राशि भी दी. इस दौरान एसपी शलभ सिन्हा, एएसपी सिद्धार्थ तिवारी, संदीप कुमार, लोकेश मेहतो, प्रतीक चतुर्वेदी मौजूद थे.

सरेंडर करने वाला रघु नक्सल संगठन में काफी अहम पदाधिकारी था. ये 2005 में पोलमपल्ली क्षेत्र में प्लाटून नंबर 4 कमांडर सिघन्ना द्वारा संगठन में बाल संघम के रूप में शामिल किया गया था. उसके बाद रघु ने 2005 से 2006 तक बाल संघम, फिर 2008 से 2010 तक सीआरसी 01 कंपनी में सेक्शन बी सदस्य और 2011 से 2013 तक सीआरसी 1 कंपनी सेक्शन बी का डिप्टी कमांडर पद पर काम किया. फिर रघु ने 2016 में कोंटा एलजीएस कमांडर के पद पर काम किया.

दर्जनों घटनाओं में शामिल था नक्सली रघु ने ओडिशा और छत्तीसगढ़ में कई घटनाओं में शामिल था. लेकिन उनमें से प्रमुख रूप से ओडिशा के तेलराई के पास लैण्ड माइन्स गाड़ी पर विस्फोट एवं फायरिंग की घटना, साथ ही दामजोड़ी में पुलिस पार्टी पर फायरिंग. इसके अलावा बाली मेला नदी के पास फायरिंग की घटना और पालूर के पास पिकअप वाहन में आईईडी ब्लास्ट करने में शामिल था. वहीं कोंटा इलाके में पिड़मेल एंबुश, कोताचेरू-भेज्जी मुठभेड़ , बुरकापाल समेत कई घटनाओं में भी शामिल था.

नक्सली रघु ने बताया कि पिछले कई सालों से नक्सल संगठन में काम कर रहा हूं लेकिन मुझे ना तो प्रमोशन मिला और ना ही कद को लेकर सम्मान. यहां तक कि बड़े नक्सली अपने-अपने बच्चे पैदा कर रहे हैं और उनका पालन कर रहे है. लेकिन हमे बच्चे पैदा करने और परिवार को आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलती थी. इन सब के कारण संगठन से परेशान होकर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया.

पुलिस अधीक्षक शलभ सिन्हा ने बताया कि कोंटा इलाके में रघु काफी सालों से सक्रिय था. वो हमारे लिए काफी महत्पूर्ण भी था. नक्सल संगठन में रघु को उच्च पद और परिवार आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं मिली. इसके अलावा लगातार जवानों द्वारा ऑपरेशन के कारण भी दबाव बढ़ रहा है. शासन की पुनर्वास नीति से भी नक्सली प्रभावित हो रहे हैं. इस तरह से रघु और उसकी पत्नी समेत 4 नक्सलियों ने विभिन्न माध्यमों से हमसे संर्पक किया. उसके बाद इन लोगों ने सरेंडर किया. फिलहाल, प्रोत्साहन राशि दी जा रही है और शासन की नीतियों का लाभ दिया जाएगा.

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